नई दिल्ली: पाकिस्तान लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पैसा कमाने के लिए यूक्रेन और इजरायल को बड़ी मात्रा में गोला-बारूद बेचना उसे महंगा पड़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद के पास चार दिन की लड़ाई लड़ने के लिए जरूरी गोला-बारूद भी नहीं है। विभिन्न रिपोर्टों और आंतरिक सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आई है। इसके अनुसार, पाकिस्तान ने यूक्रेन और इजरायल के साथ गोला-बारूद बेचने के लिए जो सौदे किए वह अब उसके गले की फांस बन गए हैं। रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के गोला-बारूद भंडार की स्थिति को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि लड़ाई की स्थिति में चार दिन बाद उसके हथियार खिलौने बनकर रहे जाएंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का गोला-बारूद भंडार इतना कम हो गया है कि उसकी सेना किसी बड़े विरोधी के खिलाफ चार दिनों से ज्यादा समय तक युद्ध नहीं कर सकती। दरअसल, 2022 में आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को यूक्रेन-रूस लड़ाई में एक अवसर दिखाई दिया। पाकिस्तान के आयुध कारखाने यूक्रेन के लिए प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गए। गुप्त मार्गों से लाखों राउंड तोपखाने के गोले, रॉकेट और छोटे हथियारों के गोला-बारूद की आपूर्ति की गई। अकेले फरवरी और मार्च 2023 के बीच पाकिस्तान ने 42 हजार 122 मिमी बीएम-21 रॉकेट, 60 हजार 155 मिमी हॉवित्जर गोले और 13 हजार 122 मिमी रॉकेट भेजे, जिससे 36 करोड़ 40 लाख डॉलर की कमाई हुई। इसमें से 80 प्रतिशत लाभ रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के जीएचक्यू में भेज दिया गया।
इतनी खराब स्थिति का क्या कारण
वित्तीय वर्ष 2022-23 तक, इन हथियारों का निर्यात आसमान छूकर 41 करोड 50 लाख डॉलर हो गया। इससे पाकिस्तानी सेना का गोला-बारूद का भंडार कम होना शुरू हो गया। जानकारों के अनुसार, साल 2025 तक पाकिस्तान का गोला-बारूद भंडार केवल 96 घंटे यानी चार दिन के उच्च-तीव्रता वाले संघर्ष को झेल सकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ते कर्ज और घटते विदेशी मुद्रा भंडार के गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इस वित्तीय उथल-पुथल ने सेना की संचालन क्षमताओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। ईंधन की कमी के कारण पाकिस्तान की सेना को राशन में कटौती करने, सैन्य अभ्यास स्थगित करने और निर्धारित युद्ध अभ्यास रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा है।