मनोज रौतेला की रिपोर्ट :
इंदौर/दिल्ली : 2015 में मीडिया में सुर्ख़ियों में रही गीता ने पुरानी संस्था छोड़ दी है. गीता को पाकिस्तान से भारत लाया गया था. मूक-बधिर गीता पांच साल से इंदौर के मूक-बधिर संगठन के आश्रम में रह रही थी. 20 जुलाई को गीता ने अपनी इच्छा से वह जगह छोड़ दी जहाँ वह रह रही थी. गीता अब शहर में विजय नगर स्थित आनंद सर्विस सोसाइटी के साथ रह रही है. वहीँ सामाजिक न्याय विभाग के कर्मचारियों ने उसे अपनी निगरानी में विजय नगर में सोसाइटी के हॉस्टल में छोड़ा.
दरअसल, गीता भारत की ही बताई जाती है. पाकिस्तान में गीता वह ईदी फाउंडेशन के साथ रह रही थी। वर्ष 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उसे लेकर भारत आई थीं. उस दौरान भारत और पाकिस्तान की सरकारों और संस्थाओं ने मिल कर प्रयास किया था और गीता को भारत लाया गया था.
गीता को भारत इसलिए लाया गया था कि उसके माता-पिता की तलाश कर उसे वहां पहुंचाया जाएगा. तबसे शासन स्तर से उसके माता-पिता की तलाश की जा रही थी. मूक-बधिरों के लिए काम करने वाली इंदौर की संस्थाओं ने इसे संभालने की जिम्मेदारी ली थी. लेकिन अभी तक उसके माता पिता का पता नहीं चल सका है.
वहीँ मूक-बधिर संगठन के अध्यक्ष मुरली धमानी ने बताया कि गीता करीब पांच साल से हमारे साथ है. शासन न तो उसके माता-पिता को तलाश पाया, न ही उसकी शादी हो रही थी. हमारे यहां और भी मूक-बधिर बच्चियां हैं जो 18-20 साल की हैं. गीता की आयु 29 साल हो चुकी है. वह इन बच्चियों के साथ एडजस्ट भी नहीं हो पा रही थी.खुद जाने की इच्छा जताई है गीता ने. मुरली धमानी ने बताया गीता ने खुद ही यहां से जाने की इच्छा जताई थी.हमने स्वीकार कर लिया उसका फैसला. शासन की ओर से उसका खर्च भी केवल एक हजार रपये महीना मिल रहा था, जबकि गीता पर चार-पांच हजार रपये महीना खर्च करना पड़ रहा था.
गीता की इच्छा को देखते हुए मैंने सामाजिक न्याय विभाग को लिखा. गीता की इच्छा के अनुसार हमने उसे बिदाई दे दी. विभाग के अधिकारियों की निगरानी में उसका सारा सामान और नकदी भी दे दी है. गीता को भारत लाने के लिए तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने काफी मेहनत की थी. उन्हीं के प्रयासों के मद्देनजर गीता को भारत लाया गया था. उसके बाद उसे इंदौर स्थित संस्था के पास भेजा गया था.