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पहलगाम हमले के बाद पाकिस्‍तान दे रहा परमाणु बम की गीदड़भभकी, भारत कैसे दे सकता है जवाब?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
26/04/25
in अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, समाचार
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्‍तान दे रहा परमाणु बम की गीदड़भभकी, भारत कैसे दे सकता है जवाब?
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इस्लामाबाद: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान लगातार भारत को परमाणु बमों का डर दिखा रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्काई न्यूज से बात करते हुए न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल को लेकर दुनिया को चेतावनी देने की कोशिश की है। पाकिस्तान को इस बात का यकीन है कि परमाणु बमों की वजह से भारत, हमला करने की कोशिश नहीं करेगा। एक्सर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान के पास छोटे-छोटे टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार हैं। पाकिस्तान के पूर्व आंतरिक मंत्री शेख रसीद भी एक बार इन छोटे-छोटे परमाणु बमों का जिक्र कर चुके हैं। लिहाजा जानना जरूरी हो जाता है कि ये बम आखिर क्या होते हैं, जिनके दम पर भारत का दुश्मन उछल रहा है। पहलगाम हमले के बाद जैसे ही भारत ने सिंधु जल संधि सस्पेंड किया, पाकिस्तान ने इसे ‘एक्ट ऑफ वार’ बताया। लिहाजा दोनों देशों के बीच जंग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने पिछले कुछ सालों में टैक्टिकल न्यूक्लियर वीपन (TNWs) बनाए हैं। इसे खास तौर पर भारत को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। पाकिस्तान ने TNWs का निर्माण इसलिए किया है, क्योंकि उसे पता है कि पारंपरिक लड़ाई में भारत से जीतने की क्षमता उसमें नहीं है। भारत की विशालकाय सैन्य क्षमता पाकिस्तान को कुचलकर रख देगी, इसीलिए उसने अपनी तरकश में नया तीर जोड़ा है। इन्हें रणनीतिक परमाणु बम कहा जाता है। ये सामान्य परमाणु बमों से अलग होते हैं। ये बम किसी खास

पाकिस्तान के टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार क्या हैं?

पाकिस्तान के डिफेंस एक्सपर्ट्स दावा करते रहे हैं कि ये रणनीतिक परमाणु बम भारत के पारंपरिक हमले के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन आलोचकों का कहना है कि रणनीतिक परमाणु हथियार, परमाणु सीमा को कम करते हैं और लेकिन इससे कितना विनाश फैल सकता है, इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। परमाणु हथियारों को लेकर माना जाता है कि ये बहुत ज्यादा विनाशकारी क्षमता वाले होते हैं और सालों साल इसका न्यूक्लियर विकिरण निकलता रहता है। लेकिन रणनीतिक परमाणु बम एक निश्चित क्षेत्र में तबाही फैला सकते हैं।

पाकिस्तान को लेकर हमारे पास जो जानकारी है, उसके मुताबिक पाकिस्तान ने इन बमों को कमांड और कंट्रोल करने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय कमांडरों और मध्य-श्रेणी के सैन्य अधिकारी को सौंपा गया है। माना जाता है पाकिस्तान ने ‘कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत’ के तहत इसे बनाया है। यानि अगर भारतीय सैनिक पाकिस्तान में घुसें तो उन्हें तत्काल रोका जाए। ‘कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत’ का मुख्य मकसद डराना होता है।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक पाकिस्तान अपने TNW हथियारों का इस्तेमाल कब करेगा और उसके इस्तेमाल की सीमाएं क्या हैं, इसको लेकर पाकिस्तान के परमाणु कमांड और कंट्रोल सिस्टम की देखरेख करने वाले रणनीतिक योजना प्रभाग (एसपीडी) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई ने दावा किया कि “परमाणु हथियारों (रणनीतिक या सामरिक) का इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब पाकिस्तान का अस्तित्व ही दांव पर हो।” उन्होंने इसके इस्तेमाल के लिए जिन कुछ बातों का जिक्र किया है, उसके मुताबिक

  • जब कोई हमला करता है और उसके भूभाग के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लेता है।
  • पाकिस्तान की भूमि या वायु सेना के एक बड़े हिस्से को नष्ट कर देता है।
  • पाकिस्तान को आर्थिक रूप से गला घोंटने की कोशिश करता है।
  • पाकिस्तान को राजनीतिक अस्थिरता की ओर धकेलता है या आंतरिक तोड़फोड़ करता है।

टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार की क्षमता कितनी होती है?

टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल युद्ध के मैदान में तत्काल परिणाम हासिल करने के लिए किए जाते हैं। इसका लक्ष्य सैन्य ठिकाने होते हैं। इनका वजन करीब 100 से 1000 किलोटन होता है और इसे ICBM और SLBM मिसाइलों से लॉन्च किया जा सकता है। पाकिस्तान के पास करीब 70 से 100 किलोमीटर के क्षेत्र को तबाह करने वाले टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार हैं और इन्हें मोबाइल प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। हालांकि परमाणु बमों को लेकर भारत नीति ‘पहले इस्तेमाल नहीं’ की है, लेकिन भारत का न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन कहता है कि अगर पाकिस्तान छोटा परमाणु बम भी चलाता है तो भारत, पूरे पाकिस्तान को मिटा देगा।

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