Monday, May 12, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home लाइफस्टाइल

प्लास्टिक जितना खतरनाक होता है कागज का कप, चौंकाने वाले हुए खुलासे

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
12/10/23
in लाइफस्टाइल
प्लास्टिक जितना खतरनाक होता है कागज का कप, चौंकाने वाले हुए खुलासे
Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

यदि आप सोचते हैं कि प्लास्टिक कप में मौजूद जहरीले रसायनों से बचने के लिए पेपर कप एक अच्छा विकल्प है, तो आप गलत हैं. क्योंकि कॉफी का पेपर कप (पेपर के ढक्कन के साथ) भी प्रकृति में मिलने पर जीवित जीवों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए, हमें प्लास्टिक और पेपर दोनों कप के इस्तेमाल से बचना चाहिए और वैकल्पिक सामग्रियों से बने कप का उपयोग करना चाहिए.

स्वीडन में गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि डिस्पोजेबल कपों में मौजूद रसायन मच्छरों के लार्वा के विकास को नुकसान पहुंचाते हैं. यूनिवर्सिटी में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर बेथानी कार्नी अल्मरोथ ने बताया कि हमने पेपर कप और प्लास्टिक कप को कुछ हफ्तों के लिए पानी में छोड़ दिया और देखा कि निक्षालित रसायनों ने लार्वा को कैसे प्रभावित किया. सभी मगों ने मच्छरों के लार्वा के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाला.

फूड पैकेजिंग सामग्री में उपयोग किए जाने वाले कागज को सतह कोटिंग के साथ उपचारित करने की आवश्यकता होती है. यह प्लास्टिक आपके हाथ में मौजूद कॉफी से कागज को बचाता है. आजकल, प्लास्टिक फिल्म अक्सर पॉलीलैक्टाइड (पीएलए) एक प्रकार के बायोप्लास्टिक से बनी होती है. बायोप्लास्टिक्स का उत्पादन जीवाश्म ईंधन के बजाय नवीकरणीय संसाधनों (पीएलए का उत्पादन आमतौर पर मक्का, कसावा या गन्ने से होता है) से किया जाता है, जैसा कि बाजार में 99 प्रतिशत प्लास्टिक के मामले में होता है.

प्लास्टिक से कितना अलग है पीएलए?

पर्यावरण प्रदूषण जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, पीएलए को अक्सर बायोडिग्रेडेबल माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह सही परिस्थितियों में तेल आधारित प्लास्टिक की तुलना में तेजी से टूट सकता है, लेकिन यह अभी भी जहरीला हो सकता है. बायोप्लास्टिक जब पर्यावरण में, पानी में पहुंचते हैं तो प्रभावी ढंग से नहीं टूटते हैं.

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.