नई दिल्ली: संसद का इस बार का शीतकालीन सत्र इतिहास में दर्ज होने लायक है. फिलहाल संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. यह सत्र हाल के वर्षों में सबसे विवादित रहा. हंगामे, विरोध-प्रदर्शन और काम में भारी गिरावट देखने को भी मिली. इस सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक पेश किया गया और संविधान के 75 वर्षों पर दो दिवसीय चर्चा हुई. लोकसभा ने अपने निर्धारित समय का सिर्फ 57% और राज्यसभा ने 43% काम किया. सत्र की समाप्ति पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने परंपरागत समापन भाषण नहीं दिया, बल्कि सत्र के अंत में सख्त चेतावनी जारी की.
लोकसभा में क्या हुआ?
दरअसल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विरोध प्रदर्शन कर रहे सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा कि संसद परिसर के किसी भी द्वार पर प्रदर्शन या विरोध न करें. अन्यथा, सदन गंभीर कार्रवाई करेगा. यह बयान उन्होंने विपक्षी सांसदों के नारेबाजी के बीच दिया. सत्र के अंत में ‘वंदे मातरम’ के साथ लोकसभा को मात्र तीन मिनट में स्थगित कर दिया गया. विपक्षी नेताओं ने अध्यक्ष द्वारा आयोजित चाय पार्टी का बहिष्कार किया, जिससे इस बार कोई परंपरागत फोटो भी नहीं जारी हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य एनडीए नेता बिरला के कक्ष में सत्र समाप्ति के बाद मौजूद रहे.