नई दिल्ली। लोकतंत्र के महोत्सव में शामिल होने के लिए सभी दलों के बड़े-बड़े नेता एक ही दिन में देश भर के अलग-अलग हिस्से में सभाएं, रैलियां और रोड शो कर रहे हैं. इसके लिए हेलीकॉप्टर से लेकर चार्टर्ड विमान तक का इस्तेमाल किया जा रहा है. अपनी-अपनी पार्टियों के उम्मीदवारों के पक्ष में समर्थन मांगने के लिए अंधाधुंध यात्राएं कर रहे हैं. इन सबको स्टार प्रचारक कहा है और इनकी यात्राओं पर अच्छा-खासा खर्च आता है.
क्या आपने सोचा है कि इस खर्च का हिसाब-किताब किसके खाते में जाता है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि क्या है स्टार प्रचारकों से जुड़ा नियम.
कौन बनता है स्टार प्रचारक?
किसी भी स्टार प्रचारक की कोई सुनिश्चित परिभाषा नहीं है. पार्टियां अपने उन नेताओं को आमतौर पर स्टार प्रचारक बनाती हैं, जिनकी लोकप्रियता ज्यादा होती है. कोई जरूरी नहीं है कि स्टार प्रचारक किसी सीट से प्रत्याशी ही हो. स्टार प्रचारक का काम होता है अपने दल के उम्मीदवार के लिए प्रचार करना. पार्टियां ही आमतौर पर इनका शेड्यूल तय करती हैं पर कई बार किसी उम्मीदवार की मांग पर भी इन्हें उसके क्षेत्र में प्रचार के लिए भेजा जाता है.
पर सवाल यह उठता है कि आखिर इन स्टार प्रचारकों की यात्राओं पर होने वाला खर्च कौन करता है. हर बार पार्टियों को चुनाव की घोषणा के बाद अपने स्टार प्रचारकों की सूची चुनाव आयोग को देनी होती है. इसके लिए आयोग की ओर से समय सीमा तय की जाती है.
उम्मीदवारों के खाते में जुड़ता है आधा खर्च
भारत निर्वाचन आयोग ने स्टार प्रचारकों पर होने वाले खर्च को लेकर नियम तय किए हैं. इसके अनुसार, प्रचार के लिए स्टार प्रचारक पर आने वाले कुल खर्च का 50 फीसदी हिस्सा उस उम्मीदवार के चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा, जिसके क्षेत्र में वह प्रचार कर रहा होता. यानी किसी उम्मीदवार के क्षेत्र में स्टार प्रचारक के प्रचार के दौरान इस्तेमाल होने वाले वाहन, एयरक्राफ्ट या हेलीकॉप्टर, फूल-मालाओं से लेकर झंडे-बैनर तक के खर्च का आधा प्रत्याशी के खर्च में जोड़ा जाएगा और आधा खर्च पार्टी के खाते में जुड़ेगा.
इसके लिए जरूरी है कोई उम्मीदवार स्टार प्रचारक के साथ मंच पर मौजूद हो. पोस्टर-बैनर में स्टार प्रचारक के साथ उम्मीदवार का फोटो हो. रैली, जनसभा या रोड शो के दौरान स्टार प्रचार स्थानीय उम्मीदवार का नाम ले. ऐसे ही कई उम्मीदवारों के लिए एक साथ प्रचार के मामले में भी होता है. अगर स्टार प्रचारक सबका नाम लेता है, उसके साथ सबकी फोटो पोस्टर-बैनर पर होती है तो सारा खर्च सबके बीच बराबर बांट कर उनके खाते में जोड़ दिया जाता है.
अपने क्षेत्र में प्रचार पर स्टार प्रचारक के खाते में जुड़ती है राशि
हालांकि, अगर कोई स्टार प्रचारक अपने ही क्षेत्र में प्रचार करता है यानी उस क्षेत्र से उम्मीदवार होता है, जहां प्रचार कर रहा हो तो पूरा खर्च उसी के खाते में जोड़ा जाएगा. चुनाव आयोग ने यह साफ किया है कि स्टार प्रचारक यदि संसदीय क्षेत्र में उम्मीदवार है और अपने ही क्षेत्र में प्रचार करता तो उसकी यात्रा और दूसरा पूरा खर्चा उसके खाते में ही जुड़ेगा. एक तरह से उसे उम्मीदवार ही माना जाएगा और अपने क्षेत्र में स्टार प्रचारक को मिलने वाली किसी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा.
पार्टी के खाते में जुड़ती है इसकी राशि
इसके अलावा निर्वाचन आयोग ने यह भी तय किया है कि यदि स्टार प्रचारकों के साथ सुरक्षाकर्मी और मीडिया के लोग यात्रा करते हैं तो स्टार प्रचारक की यात्रा का पूरा खर्च संबंधित राजनीतिक दल के खाते में जोड़ा जाएगा. ऐसा तभी होगा, जब स्टार प्रचारक संबंधित क्षेत्र में उम्मीदवार नहीं हो.
रीप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट, 1951 के सेक्शन 77 (1) में स्टार प्रचारकों से जुड़े दिशानिर्देश दिए गए हैं. इन निर्देशों को समय-समय पर चुनाव आयोग की ओर से जारी किया जाता है. इन्हीं गाइडलाइन में राजनीतिक दलों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपने किसी नेता को स्टार प्रचारक की सूची में शामिल करें या फिर उसका नाम हटा सकें. वैसे पारंपरिक तौर पर किसी उम्मीदवार के क्षेत्र में स्टार प्रचारक बुलाने की कोई सीमा तय नहीं है.