पीयूष द्विवेदी। किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता और जनता के बीच संवाद का बहुत महत्व होता है। यह संवाद शासन की नीतियों, योजनाओं एवं कार्यप्रणाली को लेकर प्रश्न पूछने, सुझाव देने या कमियों की ओर ध्यान आकृष्ट करने के रूप में निष्पादित हो तो न केवल लोकतंत्र मजबूत होता है, अपितु देश के विकास को भी गति मिलती है, परंतु यह सब तभी संभव है जब उक्त संवाद के मूल में सकारात्मक दृष्टिकोण और साफ नीयत मौजूद हो। भारत में स्थिति कुछ अलग नजर आती है। वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के केंद्र में सत्तारूढ़ होने के बाद से ही देश में एक खास विचारधारा से प्रेरित लोग अटल विरोध की मुद्रा में आ गए और लगातार इसी मुद्रा में बने हुए हैं। कुछ लेखकों द्वारा चलाया गया पुरस्कार वापसी अभियान हो या कथित रूप से देश में बढ़ती सांप्रदायिकता को लेकर सरकार का विरोध करना, ऐसे कुछ उदाहरण हैं।
इन दिनों यह वैचारिक समूह कांस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (सीसीजी) नामक संगठन के रूप में पुन: सक्रिय हुआ है। इस समूह के 108 सेवानिवृत्ति अधिकारियों द्वारा बीते 26 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखकर ‘भाजपा सरकारों की नफरत की राजनीति’ की आलोचना की गई। इस पत्र में भाजपा सरकारों पर मुस्लिम विरोधी नीतियां अपनाने तथा संविधान की उपेक्षा कर हिंदुओं के पक्ष में शासन चलाने का आरोप लगाया गया है। भाजपा सरकारों के शासन में मुसलमानों में डर पैदा करने की बात भी पत्र में लिखी गई है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि भाजपा सरकारें देश को हिंदू राष्ट्र बनाने का एक विशेष सांचा तैयार करने के लिए काम कर रही हैं। लगता है यह पत्र लिखने वालों को देश, समाज या मुस्लिम समुदाय के हितों की चिंता नहीं है, उनका उद्देश्य केवल भाजपा सरकारों और प्रधानमंत्री मोदी को मुस्लिम विरोधी सिद्ध कर देश में भाजपा के विरुद्ध एक माहौल तैयार करना है।
गौर करें तो इस पत्र में लिखी बातों का जमीन पर कोई आधार नजर नहीं आता। सीसीजी के लोगों को बताना चाहिए कि भाजपा की केंद्र या राज्य सरकारें कहां और किस प्रकार से मुस्लिम विरोधी नीतियां अपना रही हैं? क्या भाजपा शासन में मुसलमानों को जनहित की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा? क्या भाजपा सरकारें अपनी योजनाओं से मुस्लिमों को बाहर रख रही हैं? क्या भाजपा शासित प्रदेशों में मुस्लिम समुदाय के अधिकारों एवं आस्था की रक्षा के लिए कानून काम नहीं कर रहा? क्या भाजपा के राज में मुस्लिम अपने पर्व-त्योहार नहीं मना पा रहे? यह भी कि भाजपा सरकारें कैसे भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में लगी हैं? आखिर वे कौन-से कारण हैं, जिनके आधार पर सीसीजी के लोगों को भाजपा का शासन मुस्लिम विरोधी और हिंदू केंद्रित लगता है, इसका उत्तर उन्हें देना चाहिए। यदि देश में कुछ मुस्लिमों पर हमले या हत्या की कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के आधार पर सीसीजी ऐसी राय बना रहा है तो यह तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि ऐसी घटनाएं तो कुछ हिंदुओं के साथ भी हुई हैं। साथ ही भाजपा शासित राज्यों में किसी भी धर्म के व्यक्ति के साथ जब भी ऐसा कुछ घटा है, दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की गई है। अत: इसके आधार पर भाजपा सरकारों को घेरना, उनकी अंधविरोध की मानसिकता को ही दर्शाता है।
प्रकृति का नियम है कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया भी होती है। सीसीजी के इस खुले पत्र के उत्तर में कंसन्र्ड सिटीजंस ग्रुप नामक एक और समूह के 197 लोगों ने पीएम को पत्र लिखकर सीसीजी के आरोपों को गलत बताते हुए सरकार का समर्थन किया है, जिसमें सेवानिवृत्त अधिकारी, न्यायाधीश, सेना के अधिकारी शामिल हैं। इस समूह के लोगों का कहना है कि सीसीजी का पत्र मोदी-विरोध का ही एक और प्रयास है और इससे केवल भारत विरोधी खेमों को ही मदद मिलेगी। कंसन्र्ड सिटीजंस ग्रुप का यह भी मानना है कि सीसीजी का यह पत्र हालिया विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली विजय से विरोधी खेमे में उपजी हताशा का परिणाम प्रतीत होता है।
स्पष्ट है कि इस पत्र-प्रकरण में एक समूह खुलकर सरकार के विरोध में है तो दूसरा सरकार के साथ खड़ा है, लेकिन इस विरोध और समर्थन के खेल में जरूरी बातें कहीं पीछे छूटती नजर आ रही हैं। दरअसल आज देश राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही मोर्चो पर चुनौतियों से जूझ रहा है। अभी कोरोना के दुष्प्रभावों से देश की अर्थव्यवस्था उबर ही रही थी कि तब तक रूस-युक्रेन युद्ध ने नई चुनौती खड़ी कर दी। सरकार इन सब चुनौतियों से निपटने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। महंगाई और रोजगार के मुद्दे हमारे सामने हैं। ऐसे समय में देश के प्रबुद्ध वर्ग का यह दायित्व बनता है कि वे पत्रों के जरिये व्यर्थ का वितंडा पैदा करने के बजाय जनहित से जुड़े मुद्दों पर सरकार से सकारात्मक संवाद करें, जिसमें ये सेवानिवृत्त अधिकारी, न्यायाधीश भी आते हैं। सरकार की बातों को सुनें, अपना सुझाव भी दें। ऐसा करके ही वे देशहित में कुछ सार्थक योगदान दे सकते हैं।