नई दिल्ली l यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका व उसके सहयोगी लगातार रूस पर शिकंजा कस रहे हैं. रूस के ऊपर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बाद अब अमेरिकी कंपनियां भी अपनी ओर से रूस के खिलाफ कदम उठा रही हैं. इस कड़ी में टेक दिग्गज गू्गल (Google) और एप्पल (Apple) जैसी कंपनियों ने रूस के कई बैंकों के कार्ड को सपोर्ट करना बंद कर दिया है. इससे रूस के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि इस मामले में भारत की तैयारी सराहनीय है क्योंकि देश के डिजिटल पेमेंट सिस्टम में स्वदेशी का दबदबा है.
इन रूसी बैंकों के कार्ड हुए प्रभावित
रशियन सेंट्रल बैंक की रिलीज के अनुसार, एप्पल और गूगल के एक्शन से रूस के जिन बैंकों पर असर हुआ है, उनमें VTB Group, Sovcombank, Novikombank, Promsvyazbank और Otkritie FC Bank शामिल हैं. सेंट्रल बैंक ने यह भी कहा था कि इन बैंकों के कार्ड से कांटेक्टलेस पेमेंट तो होगा, लेकिन गूगल या एप्पल जैसी विदेशी सर्विस प्रोवाइडर के जरिए पेमेंट नहीं हो पाएगा. इसी तरह इन कार्डों से विदेशी कंपनियों या स्टोर को ऑनलाइन पेमेंट भी नहीं होगा.
मॉस्को मेट्रो के स्टेशनों पर लग लंबी कतारें
इसके बाद सोमवार को कई यूजर्स ने Twitter पर बताया कि एप्पल पे और गूगल पे ने रूस की राजधानी मॉस्को के मेट्रो नेटवर्क में काम करना बंद कर दिया है. इससे कम्यूटर्स को आने-जाने में दिक्कतें आईं. पेमेंट करने में मुश्किलें आने से मॉस्को के मेट्रो स्टेशनों पर लंबी कतारों की भी बातें कुछ खबरों में कही गईं. इन खबरों के बाद इंडियन यूजर्स भीम यूपीआई और रूपे पेमेंट सिस्टम की चर्चा करने लगे. इस तरह मंगलवार को भी पूरे दिन Twitter पर यूपीआई और रूपे ट्रेंड करता रहा.
भारत में डिजिटल पेमेंट में देसी यूपीआई की मोनोपॉली
यूपीआई पूरी तरह से स्वदेशी डिजिटल पेमेंट इंटरफेस है. यह इतना सिंपल और सिक्योर है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व भी इसकी तारीफ कर चुका है. गूगल ने भी अमेरिका में यूपीआई को अमल में लाने या उसके जैसी कोई टेक्नोलॉजी डेवलप करने की मांग की थी. अभी यूपीआई का इस्तेमाल भारत के बाहर भी होने लगा है. पड़ोसी देश नेपाल ने हाल ही में यूपीआई को अपनाया है. भारत में गूगल पे, अमेजन पे, पेटीएम, भीम, भारतपे, फोनपे जैसे सारे डिजिटल पेमेंट ऐप यूपीआई इंटरफेस पर ही बेस्ड हैं.
कार्ड नेटवर्क में अकेले रूपे का हिस्सा आधे से भी ज्यादा
इसी तरह देसी कार्ड नेटवर्क रूपे भी पिछले कुछ साल में तेजी से बढ़ा है. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में ही भारतीय कार्ड बाजार में रूपे की हिस्सेदारी 60 फीसदी से ज्यादा हो चुकी थी, जबकि 2017 में यह हिस्सेदारी महज 15 फीसदी थी. इसका मुख्य कारण केंद्र सरकार के द्वारा रूपे को बढ़ावा दिया जाना है. केंद्र सरकार के इस प्रयास का नतीजा हुआ कि कार्ड नेटवर्क में वीजा और मास्टरकार्ड जैसे दिग्गजों की भारतीय बाजार में संयुक्त हिस्सेदारी 40 फीसदी से नीचे आ चुकी है. हालांकि पेमेंट और ट्रांजैक्शन के लिहाज से अभी भी वीजा और मास्टरकार्ड रूपे की तुलना में आगे हैं.
खबर इनपुट एजेंसी से