एसटीएफ ने स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ ग्राम थारू गौरीखेड़ा के एक घर में छापा मारा। टीम को यहां हर्बल दवा के नाम पर भारी मात्रा में चूर्ण, कैप्सूल, पाउडर मिला। दवाओं में ब्रांडेड रेपर नहीं थे। कारोबारी इन दवाओं को ताकत बढ़ाने और बीमारियों के इलाज के लिए ऑनलाइन बिक्री कर रहे थे।
बुधवार की शाम एसटीएफ की टीम को थारू गौरीखेड़ा के एक घर में छापेमारी में कुछ मशीनें भी मिली। बताया जा रहा है कि हर्बल नाम से दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री की जा रही थी। दो लोग चार माह से दवाइयों की पैकिंग कर यहां से बेच रहे थे। पूछताछ में दोनों लोग इसे विभिन्न प्रकार की बीमारियों की हरबल दवा बता रहे थे। यहां कुछ मशीन भी थी।
मुर्गा लिखे हुए चूर्ण के कट्टे थे। प्लास्टिक के कैप्सूलों में यही चूर्ण भरा हुआ प्रदर्शित हो रहा था। मौके पर पहुंची सीएमएस डॉ अभिलाषा पाण्डे ने दवाओं के सेंपल लिये हैं। उन्होंने बताया कि सेंपल जांच के लिए ड्रग इंसपेक्टर को भेजे जाएंगे। जांच रिपोर्ट के बाद ही वास्तविकता सामने आएगी। तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी ने बताया कि मौके पर मिले सामान को सील किया गया है।
पुलिस ने मकान मालिक का किया 10 हजार का चालान
सितारगंज। हरबल दवा के नाम पर ऑनलाइन दवा बेचने वाले दो लोगों ने थारू गौरीखड़ा में अकील पुत्र हनीफ का मकान किराए में लिया था। चार माह से दोनों मकान में रहकर दवा का ऑनलाइन व्यापार कर रहे थे। मकान मालिक ने दोनों का सत्यापन भी नहीं कराया था। एसआई विक्रम सिंह धामी ने सत्यापन नहीं कराने पर मकान मालिक का 10 हजार का चालान किया है।
तो क्या मुर्गी को खिलाने वाला चूर्ण बेच रहे थे!
सितारगंज में एसटीएफ, प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की टीम को मौके पर बिना लेबल की ड्राप, कैप्सूल मिले। इनमें किसी प्रकार का ब्रांड नहीं था। मौके पर मिले डिब्बों में हर्बल लिखा था। इनको विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए पार्सल से भेजकर मोटी रकम वसूली जाती थी।
एक डिब्बे के1575 रुपये वसूले जाते हैं। कहा जा रहा है कि सभी बीमारियों के इलाज को एक ही प्रकार की दवाइयां भेजी जाती थीं। इसे ताकत, कमजोरी के इलाज के नाम पर बेचा जाता था। सीनियर ड्रग इंसपेक्टर नीरज कुमार ने बताया सूचना पर वह पहुंचे थे।
जो पाउडर व चूर्ण था उसमें किसी प्रकार का ब्रांड नहीं था,जो एलोपैथ दवा होने की पुष्टि करता हो। सम्भवत मुर्गी को खिलाने वाले दाने का पाउडर हो। हरबल दवा के नाम पर मुर्गी के दानों का चूर्ण व कैप्सूल बनाकर मरीजों को खिलाया जा रहा है तो इससे गम्भीर माना जा रहा है। किसी भी दवा या डिब्बे में रेपर नहीं था। बिना जांच के कुछ भी कोई कहने को तैयार नहीं है।
एसडीएम तुषार सैनी, तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी ने बताया कि दवाओं व चूर्ण को सील कर दिया है। टीम ने सेंपल लिए हैं। सीनियर ड्रग इंसपेक्टर ने बताया कि दवाएं एलोपैथिक नहीं थी इसलिए सेंपल नहीं लिये हैं। प्रशासन की सूचना पर सितारगंज स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सेंपल भरे हैं.