देहरादून : राज्य के सीमांत और पर्वतीय गांवों में आजीविका व स्वरोजगार से जुड़ी योजनाओं के जरिए सरकार पलायन रोकेगी। सात पर्वतीय जिलों के 70 समूहों (क्लस्टर) में 700 से अधिक गांवों के लिए योजनाओं के प्रस्ताव वित्तीय वर्ष के पहले ही महीने में पहुंच गए हैं। इन योजनाओं को अगले तीन वर्ष में जमीन पर उतार दिया जाएगा।
उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा समेत सात जिलों में सीमांत व दुर्गम, दूरस्थ गांवों के क्लस्टर तैयार किए गए हैं। एक क्लस्टर में 10 से 12 गांवों शामिल हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर इन सभी गांवों की विकास योजनाओं के लिए गाइडलाइन भेजी गई थी। गाइडलाइन आधार पर सभी गांवों के लिए इसी महीने योजनाएं ही प्राप्त हो गई हैं। इन गांवों में विकास की आवश्यकता के अनुसार योजनाएं बनाई गई हैं। इन योजनाओं के जरिये स्थानीय लोगों की आजीविका बढ़ाने के प्रयास होंगे।
योजनाओं के लिए इस तरह से होगी फंडिंग
गांवों में संचालित होने वाली योजनाओं के लिए फंडिंग का इंतजाम मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना और ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण योजना के बजट से होगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री घोषणा से भी धनराशि का प्रावधान होगा। इन तीनों स्रोतों से योजनाओं के लिए 60 फीसदी फंडिंग होगी। 40 फीसदी फंडिंग योजनाओं से संबंधित विभागों से होगी।
केंद्रीय मंत्रियों के राज्य के वाइब्रेंट गांवों में हो रहे प्रवास पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहा कि ये वाइब्रेंट व सीमांत गांवों का विकास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि अब वाइब्रेंट गांव गूंजी में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल प्रवास करेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी ने इन गांवों को देश के प्रथम गांवों की संज्ञा दी है।