नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी के एक शाही दोस्त…वो दोस्त, जो कतर से 2500 किलोमीटर की हवाई यात्रा तय करके दिल्ली आए. वो दोस्त, जो भारत के विशेष अतिथि रहे. हम बात कर रहे हैं कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी की. उन्होंने जब से भारत की धरती पर कदम रखा है, तब से इस बात की चर्चा हो रही थी कि भारत और कतर के कूटनीतिक संबंध कितने मजबूत हैं, इसका उदाहरण पीएम मोदी की मेहमान नवाजी से साफ जाहिर हो गया.
भारत और कतर के कूटनीतिक रिश्तों को जानने के लिए कतर के अमीर की दिल्ली में मेहमान नवाजी को सिलसिलेवार ढंग से समझना होगा. इसकी शुरुआत सोमवार की रात से होती है, जब उन्होंने दो दिन की राजकीय यात्रा पर दिल्ली में लैंड किया. दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने के लिए पीएम मोदी खुद पहुंचे हुए थे. प्रोटोकॉल तोड़कर उन्हें गले लगाया और उन्होंने कतर के अमीर को अपना भाई बताया.
हैदराबाद हाउस में वन-टू-वन मुलाकात
वहीं मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कतर के अमीर के साथ हैदराबाद हाउस में वन-टू-वन मुलाकात की. उनके साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की. प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण निर्मला और कई वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बातचीत का नेतृत्व किया. वहीं, कतर के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तमीम बिन हमद ने किया.
हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी से मिलने के पहले वो राष्ट्रपति भवन भी गए थे. वहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खुद उनका स्वागत किया. उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. शाम 7 बजे वो फिर से राष्ट्रपति भवन पहुंचे. यहां उनके सम्मान में डिनर का आयोजन किया गया.
दोनों देशों के बीच क्या-क्या हुए समझौते
दोनों वर्ल्ड लीडर्स ने ट्रेड, एनर्जी, इनोवेशन, टेक्नोलॉजी, खाद्य सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने का भी फैसला किया. इसके अलावा, पीएम मोदी ने कतर के अमीर के साथ लोकल और ग्लोबल मुद्दों पर भी गंभीर चर्चा की.
कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी की यात्रा के बाद भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों बेहद मजबूत हुए हैं. इन संबंधों की पहचान कई समझौतों और पहलों से है, जिनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, ऊर्जा और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना है.
कतर भारत में 10 बिलियन अमरीकी डॉलर यानी करीब 87 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगा. इस निवेश के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और मैन्युफेक्चरिंग जैसे सेक्टर्स पर होगा. दोनों देशों ने संभावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के साथ 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का महत्वाकांक्षी टारगेट भी रखा है.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत और कतर ने एक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. कतर भारत में इंफ्रास्ट्रक्टर, टेक्नोलॉजी, मैन्युफेक्चरिंग, फूड सिक्योरिटी, लॉजिस्टिक्स, हॉस्पिटैलिटी और मिच्युअल इंटेरेस्ट के सेक्टर में निवेश बढ़ाने के अवसर खोज रहा है. इस संबंध में कतर ने भारत में 10 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई. कतर निवेश प्राधिकरण (QIA) भारत में एक ऑफिस खोलेगा.
कतर में कतर नेशनल बैंक (क्यूएनबी) के सेल पॉइंट पर भारत के UPI का संचालन भी किया जाएगा और गिफ्ट सिटी में ऑफिस खोलकर भारत में कतर नेशनल बैंक की उपस्थिति का विस्तार किया जाएगा. दोनों देश व्यापार और आपसी निवेश के माध्यम से भारत-कतर एनर्जी साझेदारी को और मजबूत करेंगे. कतर के नागरिकों के लिए भारतीय e-Visa सुविधा का विस्तार किया जाएगा. दोनों देशों ने निकट भविष्य में संस्कृति, मैत्री और खेल वर्ष मनाने पर भी सहमति जताई है.
भारत और कतर ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी की स्थापना के लिए एक समझौते के साथ-साथ आयकर के संबंध में दोहरे कराधान से बचने और राजकोषीय चोरी की रोकथाम के लिए एक संशोधित समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
कब से मजबूत हुए भारत और कतर के रिश्ते?
अरब वर्ल्ड में कतर बहुत ही छोटा देश है, लेकिन इसकी अहमियत इतनी है, कि इसे अमेरिका जैसा देश भी इग्नोर नहीं कर सकता. पश्चिमी एशिया के सारे बड़े मसले दोहा में बैठकर ही सुलझाए जाते हैं, फिर वो चाहे 2020 का तालिबान संकट हो या फिर वर्तमान में चल रहा इजराइल-हमास युद्ध से जुड़ा मसला हो या फिर अफगानिस्तान और भारत के बीच होने वाली कोई महत्वपूर्ण बैठक हो. आप कतर को ऐसी सभी बैठकों के लिए एक सेंटर पॉइंट देश कह सकते हैं.
भारत के साथ मजबूत रिश्तों की बात करें, तो इसकी शुरुआत 70 के दशक से होती है और पीएम मोदी के दस साल के कार्यकाल में इसको और मजबूती देने की ही कोशिश की गई है इसीलिए कतर के अमीर वर्ष 2015 में भी दिल्ली में उनके मेहमान थे. पीएम मोदी इसके ठीक एक वर्ष बाद 2016 में दोहा गए थे और इस बार कतर के अमीर फिर से दिल्ली आए हैं, तो भारत के साथ कतर के रिश्ते वर्ल्ड ट्रेंडिंग हैं.
खाड़ी में बसे कतर की आबादी मात्र 29 लाख है, लेकिन इस 29 लाख में अकेले 8 लाख 35 हजार प्रवासी भारतीय हैं, जो कतर की इकोनॉमी को बूस्ट करने में बड़ा योगदान दे रहे हैं. साथ ही ये प्रवासी भारतीय हर साल 3500 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई करके भारत भी भेजते हैं. कतर में छोटी बड़ी कुल 15,000 भारतीय कंपनियां मौजूद है.
भारत क्या करता है कतर से आयात?
वहीं, कतर भारत की एनर्जी सिक्योरिटी का भी भरोसेमंद पार्टनर है. कतर में मौजूद भारतीय दूतावास के अनुसार, कतर भारत का सबसे बड़ा लिक्विफाइड नेचुरल गैस सप्लायर है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने कतर से 10.74 मिलियन मीट्रिक टन का LNG मंगाया था. इसकी कीमत 8.32 अरब डॉलर थी. ये भारत के कुल LNG आयात का 48% है यानी कि भारत अपने कुल LNG आयात का आधा हिस्सा सिर्फ कतर से इंपोर्ट करता है.
LNG के अलावा, कतर भारत का सबसे बड़ा LPG सप्लायर भी है. भारत कतर से एथिलीन, प्रोपलीन, अमोनिया, यूरिया और पॉली-एथीलीन भी आयात करता है. कतर से सामान खरीदने में भारत का नंबर चीन और जापान के बाद तीसरा है. वहीं, कतर अपनी खाद्य जरूरतों का 90% आयात पूरी दुनिया से करता है जिसमें भारत एक प्रमुख भागीदार है.
भारत क्या करता कतर को निर्यात?
भारत, कतर को चावल, गेहूं, फल और डेयरी उत्पादों का निर्यात करता है. कतर के कंस्ट्रक्शन सेक्टर, स्वास्थ्य, शिक्षा और IT सेक्टर में भारतीयों की बड़ी भूमिका है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में भारत-कतर का कुल व्यापार 10.95 बिलियन डॉलर का था, जो अब बढ़ कर 14 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है और इस दौरे के बाद इसमें और वृद्धि होने की उम्मीद है.