पीएम मोदी ने सौर हरित ऊर्जा पहल के तहत ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ का जो सपना देखा था, उसे तमाम देशों का समर्थन मिलता जा रहा है। पिछले ही दिनों पीएम मोदी ने ब्रिटेन के ग्लासगो में ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ का आह्वान किया। यहां से पीएम मोदी के सपने को ब्रिटेन का साथ मिला और अब अमेरिका ने भी ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ को अपना समर्थन दे दिया है। एक-एक कर के दुनिया भर के देश सूरज की ताकत को समझते हुए इस प्रोजेक्ट से जुड़ रहे हैं।
क्या कहा है अमेरिका ने?
अमेरिका की ऊर्जी सचिव जेनिफर ग्रैनहोम ने ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ को अमेरिका का समर्थन देते हुए कहा कि अमेरिका फिर से जलवायु परिवर्तन पर विचार करने को लेकर काफी उत्साहित है। उन्होंने कहा कि पूरी मानवता साल भर में जितनी ऊर्जा का इस्तेमाल करती है, उतनी ऊर्जा सूरज से धरती पर सिर्फ 1 घंटे में ही आ जाती है। उन्होंने कहा कि सूरज और ग्रिड के कॉम्बिनेशन से धरती को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका का ऊर्जा विभाग ‘ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव- वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ का पार्टनर बनने से बेहद खुश है।
क्या है ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ प्रोजेक्ट?
पीएम मोदी की इस पहल के पीछे मूल विचार यह है कि ‘सूरज कभी अस्त नहीं होता।’ दुनिया के किसी न किसी कोने तक उसकी रोशनी पहुंचती ही रहती है। इसका इस्तेमाल विभिन्न इलाकों में बड़े पैमाने पर सोलर एनर्जी तैयार करने में हो सकता है। इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) के अनुसार, OSOWOG के जरिए एक ऐसी ग्रिड विकसित की जाएगी जो क्षेत्रीय सीमाओं के परे होगी। यह ग्रिड दुनियाभर से समेटी गई सौर ऊर्जा को अलग-अलग लोड सेंटर्स तक पहुंचाएगी। इस पहल का नेतृत्व ISA, भारत सरकार और वर्ल्ड बैंक कर रहे हैं, तीनों के बीच एमओयू साइन हो चुका है। पीएम मोदी की इस पहल को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में गेमचेंजर कहा जा रहा है। न्यू एंड रीन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री ने जो ड्राफ्ट तैयार किया है, उसके अनुसार OSOWOG के जरिए 140 देशों को एक कॉमन ग्रिड से जोड़ा जाएगा।
तीन चरणों में लागू होगा ये प्रोजेक्ट
पहले चरण में, भारतीय ग्रिड्स को मिडल ईस्ट, साउथ एशिया और साउथ-ईस्ट एशिया की ग्रिड्स से जोड़ा जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में उन्हें अफ्रीकन पावर पूल्स से जोड़ा जाएगा। वहीं तीसरे चरण में पावर ट्रांसमिशन ग्रिड को ग्लोबली कनेक्ट किया जाएगा। इसके जरिए दुनिया भर के देश आपस में सोलर और अन्य रीन्यूएबल एनर्जी साझा करेंगे। इसका मुख्य मकसद ये है कि पीक डिमांड के समय बिजली की जरूरतों को पूरा किया जा सके।
क्यों जरूरी है वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड प्रोजेक्ट?
अभी तक बिजली पैदा करने के लिए अधिकतर देश परंपरागत स्रोतों का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन यह भी समझना जरूरी है कि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन वह खत्म हो जाएंगे। ऐसे में जरूरत है रीन्यूएबल और ग्रीन एनर्जी की। इसके लिए सूरज की रोशनी से अच्छा क्या हो सकता है। सूरज की रोशनी से ऊर्जा पैदा कर के ग्रीन एनर्जी वाला देश बना जा सकता है। जैसा कि अमेरिका की ऊर्जा सचिव ने कहा है कि पूरी मानवता साल भर में जितनी ऊर्जा इस्तेमाल करती है, उतनी ऊर्जा तो सूरज से महज 1 घंटे में धरती पर पहुंच जाती है। यानी अगर सूरज की ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं तो इससे बहुत फायदा हो सकता है।
क्या है अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन
अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना भारत और फ्रांस ने 30 नवंबर 2015 को पेरिस में आयोजित ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन फ्रेमवर्क’ की 21वीं वार्षिक बैठक के दौरान की थी। अभी दुनिया भर के 67 देश इस संगठन के सक्रिय सदस्य हैं। अंतरराष्ट्रीय सौर संगठन का मुख्यालय भारत के हरियाणा में ग्रुरुग्राम शहर में है।
खबर इनपुट एजेंसी से