नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार (27 अगस्त) को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की, जिसमें भारत और रूस के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया. अपनी चर्चा के दौरान, दोनों नेताओं ने चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष पर विचारों का आदान-प्रदान किया. इस बात की जानकारी पीएम मोदी सोशल मीडिया के जरिए दी.
उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की. रूस-यूक्रेन संघर्ष पर विचारों का आदान-प्रदान किया और यूक्रेन की हालिया यात्रा से प्राप्त अंतर्दृष्टि को साझा किया. संघर्ष के शीघ्र, स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई.”
पिछले हफ्ते ही यूक्रेन से लौटे हैं पीएम मोदी
पीएम मोदी ने यूक्रेन की अपनी हालिया यात्रा से प्राप्त जानकारियों को साझा किया और संघर्ष के त्वरित, स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता पर जोर दिया. पीएम मोदी ने पिछले सप्ताह यूक्रेन का दौरा किया और बीते दिन सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ अन्य विषयों के अलावा वहां की स्थिति पर चर्चा की.
दोनों नेताओं के बीच ताजा बातचीत पीएम मोदी के युद्धग्रस्त यूक्रेन का दौरा करने के लगभग चार दिन बाद हुई, जहां उन्होंने राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की. यूक्रेनी नेता के साथ अपनी बातचीत के दौरान, उन्होंने बातचीत और कूटनीति के साथ युद्ध को हल करने की बात दोहराई. यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ अपनी बैठक के दौरान मोदी ने कहा था कि भारत “तटस्थ” नहीं है क्योंकि यह हमेशा शांति के पक्ष में है.
यूक्रेन के दौरे पर पीएम मोदी ने क्या कहा था?
प्रधानमंत्री ने कहा था, “हम (भारत) तटस्थ नहीं हैं. शुरू से ही हमने पक्ष लिया है और हमने शांति का पक्ष चुना है. हम बुद्ध की भूमि से आए हैं, जहां युद्ध के लिए कोई जगह नहीं है.” उन्होंने कहा, “मैं आपको और पूरे वैश्विक समुदाय को आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता (राज्यों की) का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.”
पिछले महीने मोदी ने मास्को का दौरा किया था और पुतिन से मुलाकात की थी, जिसमें उन्होंने यूक्रेन-संघर्ष पर भारत के रुख को दोहराया था. उन्होंने रूसी राष्ट्रपति को बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने के लिए प्रेरित किया था, उन्होंने जोर देकर कहा था कि “युद्ध के मैदान में कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है.”