नई दिल्ली। पीएम मोदी ने लोकसभा में महाकुंभ की सफलता की सराहना की और इसे देश की एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में देश के हर क्षेत्र के लोग एक हो गए और यह आयोजन हमारी संस्कृति और परंपरा को सेलिब्रेट करने की भावना को प्रबल करता है।
संसद में बजट सत्र के दौरान आज पीएम मोदी ने लोकसभा में भाषण दिया। पीएम मोदी ने लोकसभा में महाकुंभ की भव्यता के बारे में बताया। पीएम मोदी ने कहा, ‘महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं। एकता का अमृत इसका पावन प्रसाद है। महाकुंभ एक ऐसा आयोजन था, जिसमें देश के हर क्षेत्र के लोग एक हो गए। लोग अपना अहंकार त्याग कर ‘मैं’ नहीं ‘हम’ की भावना के साथ प्रयागराज में जुटे।
‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’
अलग-अलग राज्यों से लोग आए और त्रिवेणी का हिस्सा बन गए। जब अलग-अलग क्षेत्रों से करोड़ों लोग राष्ट्रीयता की भावना को मजबूत करते हैं, तो देश की एकता बढ़ती है। जब संगम के तट पर अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोग हर-हर गंगे का उद्घोष करते हैं, तो एक भारत श्रेष्ठ भारत की झलक दिखती है। एकता की भावना बढ़ती है।महाकुंभ में हमने देखा कि बड़े और छोटे का कोई भेद नहीं था। ये भारत की बहुत बड़ी ताकत है। ये दिखाता है कि एकता का अद्भुत तत्व हमारे अंदर समाया हुआ है। आज पूरे विश्व में जो बिखराव की स्थिति है, उसमें एकता का ये प्रदर्शन हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
महाकुंभ से अमृत निकला- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा महाकुंभ से हमें बहुत प्रेरणा मिली है। हमारे देश में कितनी ही छोटी-बड़ी नदियां हैं, जिनमें से अनेक संकट से जूझ रही हैं। कुंभ से प्रेरणा लेते हुए हमें नदी महोत्सव की परंपरा को नया विस्तार देना होगा। हमें इस बारे में अवश्य सोचना चाहिए। इससे वर्तमान पीढ़ी को जल का महत्व समझ में आएगा। नदियां सुरक्षित रहेंगी। मुझे विश्वास है कि महाकुंभ से निकलने वाला अमृत हमारे संकल्पों की सिद्धि का सशक्त माध्यम बनेगा।
‘डेढ़ महीने दिखा महाकुंभ का उत्साह’
पीएम मोदी ने कहा, हमने डेढ़ महीने तक भारत में महाकुंभ का उत्साह देखा। उमंग को अनुभव किया। बीते हफ्ते मैं मॉरीशस गया था। मैं त्रिवेणी संगम से महाकुंभ का पावन जल लेकर गया था। जब मैंने उस पावन जल को मॉरीशस के गंगा तालाब में अर्पित किया तो वहां श्रद्धा, आस्था और उत्सव का माहौल बन गया। वो देखने लायक था। ये दिखाता है कि आज हमारी परंपरा हमारी संस्कृति, हमारे संस्कारों को आत्मसात करने की, उन्हें सेलिब्रेट करने की भावना कितनी प्रबल हो रही है।