जिस स्थान पर खड़े होकर तुमने मुझसे कहा था
कि ‘मैं तुमने प्यार नहीं करती’
जाओ
मैं शाप देता हूँ
कि वहाँ आत्महत्या करने को मजबूर
दिहाड़ी मजदूरों की छत्र-छाया के लिए एक विशालकाय वृक्ष उत्पन्न हो जाए
ये जानते हुए भी कि सरकार इस वृक्ष को काटने का प्रयत्न करेगी
मैं अपने द्वारा दिए गए शाप पर अटल हूँ
मैं तुम्हारे पद चिन्हों को मिटा देना चाहता हूँ
जिस होटल में मैं अकेला बैठा रहा
और तुमने मेरे चाय पीने के आमंत्रण को ठुकरा दिया
जाओ
मैं शाप देता हूँ
कि वह पूँजी का बना हुआ पुरा गढ़ ढह जाए
और प्यारेलाल वहाँ चाय का ठेला लगा लें
ये जानते हुए भी कि सरकार ठेलिया उलटाने का प्रयत्न करेगी
मैं अपने द्वारा दिए गए शाप पर अटल हूँ
मैं तुम्हारी यादों को आलीशान नहीं रहने देना चाहता
जिस स्थान पर मैंने तुम्हें एक किताब उपहार स्वरूप दिया था
और तुमने उसे फाड़कर फेंक दिया था
जाओ
मैं शाप देता हूँ
कि उस स्थान पर एक लाइब्रेरी बन जाए
जो गरीब बच्चों के लिए मुफ्त में उपलब्ध हो
ये जानते हुए भी कि सरकार शिक्षा शुल्क बढ़ा रही है
मैं अपने द्वारा दिए गए शाप पर अटल हूँ
मैं तुम्हारे नकार का प्रतिकार करना चाहता हूँ।
चन्द्रशेखर कुशवाहा