नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली आर्थिक सलाह परिषद की एक नई रिपोर्ट आई है, जिसके नतीजे हिंदू बनाम मुस्लिम की राजनीति को और हवा देने वाली साबित हो सकती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 1950 के बाद से हिंदुओं की आबादी में करीब 8 फीसदी कमी आई है. दूसरी तरफ मुसलमानों की आबादी का ग्राफ 43 फीसदी की तेजी से बढ़ा है. इस रिपोर्ट के आते ही राजनीति की नई सीरीज शुरू हो चुकी है..बीजेपी नेताओं की लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.. बीजेपी का आरोप है कि ये सब मुस्लिम तुष्टिकरण वाली नीतियों का नतीजा है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि बेरोजगारी, किसान, महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर बात होनी चाहिए.
दरअसल, पीएम की इकोनॉमिक काउंसिल की एक स्टडी में 1950 से 2015 के बीच आबादी की स्टडी की गई है. स्टडी के मुताबिक, देश में हिंदुओं की आबादी में करीब 8 फीसदी गिरावट हुई है. जबकि 1950 में अल्पसंख्यकों की आबादी में तुलना में 2015 तक 43.15 फीसदी का इजाफा हुआ है. 1950 में मुस्लिमों की आबादी 9.84 फीसदी थी. 2015 में मुस्लिमों की आबादी बढ़कर 14.09 फीसदी हो गई है.
इस रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा- कांग्रेस ने देश को धर्मशाला बना दिया है. ये भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं. गिरिराज का कहना था कि कुछ लोग देश को भ्रमित करना चाहते हैं. लेकिन सच्चाई छुप नहीं सकती है. 1947 में हिंदू की आबादी लगभग 90 प्रतिशत थी और आज हम 70 प्रतिशत पर आ गए. आज मुसलमान 20 प्रतिशत हो गया है, जो पहले 8 पर थे. कांग्रेसियों ने देश को धर्मशाला बना दिया है. देश में बांग्लादेशी घुसपैठिए आए. देश में रोहिंग्या को वोटबैंक के लिए ले आए. मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं. ये लोग देश को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं.
प्रियंका गांधी बोलीं- लोगों की जिंदगी से जुड़े मुद्दों पर बात हो
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, हमें उन मुद्दों पर बात करनी चाहिए, जो लोगों के जीवन से जुड़े हों. बेरोजगारी, किसान, महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर बात होनी चाहिए. बीजेपी वाले अपने आप से ही मुद्दे निकालते हैं, इसलिए बोलते रहते हैं. ये मुद्दे नहीं हैं.
स्टडी में क्या दावा किया गया?
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की स्टडी के मुताबिक, भारत में हिंदू आबादी कम हो गई है. जबकि मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध और सिखों समेत अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी बढ़ गई है. हालांकि, इस अवधि में जैन और पारसियों की संख्या में कमी आई है. 1950 और 2015 के बीच भारत में मुस्लिम आबादी में 43.15% की बढ़ोतरी हुई है. ईसाइयों में 5.38%, सिखों में 6.58% और बौद्धों में मामूली बढ़ोतरी देखी गई है.
पहले 9.84% मुसलमान थे, अब 14.09% हो गए
स्टडी के अनुसार, 1950 में भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 84% थी. 2015 तक यह घटकर 78% हो गई है. इसी अवधि में मुसलमानों की हिस्सेदारी 9.84% से बढ़कर 14.09% हो गई है. म्यांमार के बाद भारत अपने पड़ोसी देशों में दूसरे नंबर पर है, जिसकी बहुसंख्यक आबादी में कमी आई है. म्यांमार में 10% और भारत में 7.8% बहुसंख्यक आबादी घटी है. भारत के अलावा नेपाल में बहुसंख्यक समुदाय (हिंदू) की आबादी में 3.6% की गिरावट देखी गई.