पटना: बिहार की सियासत में इस बार अधिकांश सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच आमने-सामने की टक्कर है, लेकिन करीब एक दर्जन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. इनमें से कुछ जगहों पर टिकट न मिलने से बागी हुए उम्मीदवारों ने निर्दलीय ताल ठोक रखी है, तो कुछ बसपा से चुनावी मैदान में उतरे हैं. ये दोनों में से किसी न किसी गठबंधन का गेम बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. ऐसे में अब देखना है कि त्रिकोणीय मुकाबले में किसका पलड़ा भारी रहता है?
बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से 19 सीट पर 4 चरण में चुनाव हो चुके हैं. पांचवें चरण में पांच सीटों पर वोटिंग जारी है और आगे दो चरण में 16 सीट पर चुनाव हैं. इस तरह अंतिम तीन चरणों में 21 सीटों में से जहां आरजेडी के 11, तो बीजेपी की भी 11 सीट हैं. जेडीयू 7, कांग्रेस 5, माले 3, वीआईपी-एक और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. बिहार में जिन सीटों पर लोगों की निगाहें हैं, उसमें काराकाट, जहानाबाद, सिवान, बक्सर, झंझारपुर सीट है, जहां पर त्रिकोणीय मुकाबला होता नजर आ रहा है.
काराकट में पवन सिंह ने बनाया त्रिकोणीय
काराकाट में एनडीए उम्मीदवार के तौर पर उपेंद्र कुशवाहा (आरएलएम) चुनाव लड़ रहे थे और इंडिया गठबंधन के राजाराम सिंह (सीपीआई-एमएल) को चुनौती दे रहे हैं. ऐसे में भोजपुरी ‘पावर स्टार’ पवन सिंह के निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने के चलते मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. उपेंद्र और राजाराम दोनों कुशवाह समुदाय से आते हैं, जिनकी इस क्षेत्र में अच्छी-खासी संख्या है. पवन सिंह ठाकुर समुदाय से आते हैं. पवन सिंह के उतरने के बाद से सवर्ण वोटर बीजेपी से छिटकता नजर आ रहा है, जिसके चलते उपेंद्र कुशवाहा के लिए चुनौती खड़ी हो गई है. पवन सिंह की ग्रामीण इलाकों में बड़ी फैन फॉलोइंग है और सवर्ण वोटों के बदौलत मुख्य मुकाबले में खड़े नजर आ रहे हैं.
सिवान में हिना शहाब के उतरने से मुकाबला है रोचक
सिवान लोकसभा सीट पर इस बार जेडीयू ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है. जेडीयू ने मौजूदा सांसद कविता सिंह की जगह पर विजयलक्ष्मी को मैदान में उतारा है. सिवान से आरजेडी ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पर दांव खेला है, तो वहीं बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब भी चुनाव मैदान में निर्दलीय डटी हैं इसलिए सिवान की लड़ाई कांटे की हो गई है. सवर्ण वोटर बड़ी संख्या में हिना शहाब के साथ खड़ा नजर आ रहा है. इसके अलावा हिना शहाब जिस तरह प्रचार कर रही हैं और मंदिर-मंदिर जा रही हैं, पप्पू यादव भी उनके पक्ष में प्रचार करने के लिए उतर रहे हैं.
जहानाबाद में अरुण कुमार भी ठोक रहे ताल
जहानाबाद लोकसभा सीट पर बसपा से पूर्व सांसद अरुण कुमार के चुनाव में आ जाने के कारण जेडीयू के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. जेडीयू से चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी फिर से चुनाव मैदान में हैं. उनके सामने आरजेडी से कद्दावार नेता सुरेंद्र यादव चुनाव मैदान में हैं. 2019 में भी दोनों के बीच लड़ाई हुई थी और बहुत कम मतों के से चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी चुनाव जीते थे. अरुण कुमार के उतरने के चलते एनडीए के लिए यह सीट निकालना आसान नहीं होगा. अरुण कुमार भूमिहार समाज से आते हैं, जो बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जाता है. अरुण के उतरने से भूमिहार वोटों के बिखराव का खतरा बना हुआ है.
बक्सर सीट पर ददन और आनंद मिश्रा
बक्सर लोकसभा सीट पर बीजेपी से मिथलेश तिवारी मैदान में हैं, तो उनके सामने आरजेडी से सुधाकर सिंह ने ताल ठोक रखी है. बीजेपी और आरजेडी के बीच फाइट है, लेकिन ददन यादव और आनंद मिश्रा के निर्दलीय उतरने से बक्सर की लड़ाई रोचक हो गई है. आनंद मिश्रा आईपीसी की नौकरी छोड़कर सियासी पिच पर उतरे हैं, तो ददन यादव आरजेडी से बगावत कर मैदान में हैं. इसके चलते ही ददन यादव आरजेडी उम्मीदवार सुधाकर सिंह को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जबकि आनंद मिश्रा ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा रखी है. ऐसे में बक्सर सीट पर चुनाव काफी दिलचस्प बना हुआ है.
झंझारपुर में गुलाब यादव बिगाड़ रहे खेल
झंझारपुर लोकसभा सीट पर जेडीयू से मौजूदा सांसद रामप्रीत मंडल मैदान में हैं, तो इंडिया गठबंधन की तरफ से सुमन कुमार महासेठ किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसे में गुलाब यादव बसपा से ताल ठोकने के बाद झंझारपुर लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है. इस सीट पर यादव और मंडल समुदाय के मतदाता बड़ी संख्या में हैं. गुलाब यादव के उतरने से वीआईपी कैंडिडेट सुमन कुमार की टेंशन बढ़ गई है. पिछली बार गुलाब यादव आरजेडी से चुनाव मैदान में उतरने थे और नंबर दो पर रहे थे. इसके चलते उनका इस सीट पर अच्छा खासा आधार है.