देहरादून: दून शहर में जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आबादी के लिहाज से दून की क्षमता पूरी हो चुकी है। अब राजधानी आबादी का और बोझ उठाने की स्थिति में नहीं है, इसके बावजूद नए मास्टर प्लान में लगातार नए आवासीय क्षेत्रों को चिह्नित किया जा रहा है। इससे दून में नागरिकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं का ढांचा गड़बड़ा रहा है।
शहर की सभी सड़कें वाहनों के ओवरलोड से जूझ रही हैं। समस्या सिर्फ आवास व सड़कों तक सीमित नहीं है। बिजली, पानी से लेकर अन्य सभी जनसुविधाओं में बढ़ती आबादी के दुष्प्रभाव से हर रोज दूनवासियों को रूबरू होना पड़ रहा है। नया दून बसाना ही विकल्प है, लेकिन पिछले 24 वर्षों में इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं किया जा सका। कागजों में कई योजनाएं बनीं, लेकिन फलीभूत नहीं हो पाईं।
नए मास्टर प्लान मे दून शहर का दायरा बढ़ाने की कोशिश की गई है। नगर नियोजक विभाग ने मास्टर प्लान 2041 में देहरादून नगर निगम के बाहर के क्षेत्र को भी शामिल करने की पैरोकारी की है। डोईवाला, ऋषिकेश, मसूरी, सेलाकुई और विकासनगर तक दून सिटी का विस्तार होगा। इसके अलावा मिक्स्ड एरिया भी बढ़ाया गया है, ताकि व्यावसायिक के साथ आवासीय क्षेत्रों का भी विस्तार हो सके। इस पूरी कवायद में सबसे बड़ा नुकसान ग्रीन लैंड का हुआ है। शहर में महज एक प्रतिशत ग्रीन एरिया बचा है। इसलिए नया दून बसाना ही अंतिम विकल्प है।
10 लाख के पार आबादी, 26 लाख की चुनौती
दून में नगर निगम क्षेत्र की आबादी 10 लाख के पार पहुंच रही है। इतनी आबादी को रहने के लिए भवन चाहिए। जगह के संकट से जूझ रहे दून में मकान बनाना बड़ी चु़नौती बन गया है। कई इलाकों में सड़कों की चौड़ाई इतनी कम है कि चारपहिया वाहन तक नहीं घुस पाते। नया मास्टर प्लान सड़कों की न्यूनतम चौड़ाई 12 से 60 मीटर प्रस्तावित कर रहा है। ऐसे में छोटी गलियों में नक्शे के अनुसार मकान बना पाना चुनौती है। 2041 तक दून की आबादी 26 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। इन हालातों में नया दून बसाए बगैर शहर में जनसंख्या के घनत्व को नियंत्रित कर पाना आसान नहीं होगा।
कागजों में खूब बना नया दून, धरातल पर नहीं उतरा
दून में बढ़ती आबादी से उपज रहे संकटों से सरकार खूब वाकिफ हैं। पिछले 24 सालों में सरकारों ने इस दिशा में काम भी किया, लेकिन दुर्भाग्य रहा कि नया दून धरातल पर नहीं उतर पाया। रायपुर में 60 हेक्टेयर भूमि पर नया दून बसाने की तैयारी की गई। यूएस की एजेंसी मैकेंजी की रिपोर्ट के आधार पर रायपुर में नया दून बसाने का प्लान बना। कहा गया कि यातायात का दबाव कम करने के लिए भीड़भाड़, वीआईपी मूवमेंट व सरकारी कार्यालयों को शहर से बाहर करना जरूरी है। इसलिए रायपुर में नया शहर बसाया जाए। इस प्रोजेक्ट से शहर के लोगों को बड़ी आस है। चायबागान की जमीन पर ट्विन सिटी बसाने की भी योजना बनी। आरकेडिया स्थित चाय बागान को नया शहर बसाने के लिए चयनित किया गया। निजी निवेशकों के जरिए टाउनशिप विकसित करने की योजना बनी, लेकिन अभी सब कुछ कागजों में ही है।
आबादी बढ़ने से समस्याएं
- ओवरलोड सड़कों पर जाम
- घटती सरकारी जमीन
- ग्रीन एरिया पर संकट
- रोड की कम होती चौड़ाई
- बिजली, पानी का इंतजाम चुनौती