नई दिल्ली। सोना अमीरों की धातु मानी जाती है.आज यह दुनिया में बहुत ही कम मात्रा में मिलता है. पर अब वैज्ञानिकों का दावा है कि पृथ्वी की गहराइयों में छिपा सोना निकालने की तकनीक विकसित हो रही है. यह इतना अधिक है कि इससे दुनिया का हर व्यक्ति को क्विंटल भर सोना मिल सकता है, फिर भी कम नहीं पड़ेगा.
दुनिया में अमीर होने के लिए कहा जाता है कि अगर खूब सारा सोना मिल जाए तो गरीबी नहीं रहेगी. पर क्या ऐसा हो सकता है कि दुनिया में इतना सोना मिल जाए कि दुनिया की हर आदमी ही अमीर हो जाए. क्या ऐसा संभव है? अगर वैज्ञानिकों को माने तो दुनिया में इतना अधिक सोना मिल सकता है कि हर शख्स को अगर क्विंटल भर भी मिले, तो भी कम नहीं पड़ेगा. एक अनूठे प्रयोग ने वैज्ञानिकों में यह उम्मीद जगाई है कि इससे गरीबी खत्म हो जाएगी और हर व्यक्ति मालामाल हो जाएगा.
सोना अमीरों की धातु मानी जाती है.आज यह दुनिया में बहुत ही कम मात्रा में मिलता है. पर अब वैज्ञानिकों का दावा है कि पृथ्वी की गहराइयों में छिपा सोना निकालने की तकनीक विकसित हो रही है. यह इतना अधिक है कि इससे दुनिया का हर व्यक्ति अमीर हो सकता है. उनके प्रयोग से गहराइयों में छिपा सोना सतह पर आ जाएगा.
लोगों को हैरानी होती है कि अगर पृथ्वी के अंदर इतना सोना है तो सराकरें इसे निकाल क्यों नहीं लेती हैं. क्या उनके पास ऐसी तकनीकें नहीं हैं? क्योंकि हकीकत ये है कि पृथ्वी की गहराई में एक दो नहीं बल्कि अरबों टन की मात्रा में सोना है. ऐसे में सवाल पैदा होतै है कि इतना महंगा होने पर भी क्या सरकार इसे निकालने के लिए खास कोशिशें नहीं करती हैं!
तो फिर यह सोना आखिर है कहां? यह सोना पृथ्वी की सतह की ऊपरी पट्टी और कोर के बीच में दफन हैं. पृथ्वी की ऊपरी परत 8 से 15 किलोमीटर की गहराई में हैं और अभी तक वैज्ञानिक ज्यादा से ज्यादा 12 किलोमीटर गहराई तक पहुंच सके हैं. जबकि सबसे गहरी खदान सोने की ही है और वह केवल 5 किलोमीटर ही गहरी है.
अभी तक वैज्ञानिक ऐसे तकनीक विकसित नहीं कर सके हैं कि पृथ्वी की पर्पटी के ठीक नीचे ही गहरे जाकर सोना निकालने की तकनीक नहीं बना सके हैं. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने ऐसा तरीका निकाल लिया है जिससे कई किलोमीटर नीचे मौजूद सोने को निकाला जा सकेगा.
पृथ्वी की गहराइयों में बहुत ही अधिक तापमान और दबाव होता है. वैज्ञानिक सदियों से इन गहराइयों में मौजूद सोने के कणों को सतह पर लाने पर काम कर रहे हैं. एक बड़ी समस्या ये थी कि जहां सोना समान्य हालात में प्रतिक्रिया नहीं करता है, वहीं ज्वालामुखी और पृथ्वी की गहराइयों में सोना रिएक्ट कर अणु स्वरूप में आ जाता है. यानी नीचे गहराई में सोना अलग से नहीं किसी अणु के हिस्से में ही मिल सकता है.
वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी की सतह के 50 से 80 किलोमीटर नीचे की गहराई में जमा सोना का सफ्लर जैसी धातु वाले द्रव्यों से प्रति क्रिया करे तो वह ऐसे अणुओं में बदल जाएगा जिससे वह अपनी जगह आसानी से बदल सकता है.
सल्फर के साथ रिएक्ट कर बने सोने के अणु आसानी से पृथ्वी से अंदर से रिस कर सतह पर आना शुरू कर देंगे. इस बात की पुष्टि उनके प्रयोगों में हुई . इनके आधार पर वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि ऐसा दिन आएगा जब इस पद्धति से पृथ्वी की गहराई में छिपा सोना निकाला जा सकता है.
प्रयोग भले ही सफल रहा हो, लेकिन अभी इसकी पुष्टि केवल लैब में हो सकती है. इसे हकीकत में बदलना समय ले सकता है. लेकिन वैज्ञानिकों को पूरी उम्मीद है कि जिसे अब तक असंभव माना जा रहा था, अब ये संभव है और एक समय आएगा जब यह होने लगेगा और तब हर शख्स अमीर हो सकेगा.