नई दिल्ली: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, बाद में कई सबूत भी दिखाए. मगर, जैसे ही पाकिस्तान की हार सामने आई कुछ वेस्टर्न मीडिया हाउस को ये बर्दाश्त नहीं हुआ. उन्होंने झूठी खबरें चलानी शुरू कर दीं खासतौर से रफाल को लेकर.
जब झूठ के सहारे भारत के लिए कहानियां बनाई गई
जब तक कोई पक्की जानकारी नहीं मिली, तब तक अमेरिका और ब्रिटेन के बड़े-बड़े अखबार ये छाप चुके थे कि पाकिस्तान ने भारत का रफाल गिरा दिया. सबने यही दिखाने की कोशिश करी कि भारत कमजोर है और पाकिस्तान ताकतवर.
बिना सबूत और नाम ने झूठी हेडलाइंस चलाईं
इन सबको देखते हुए फ्रांस में भारत के पूर्व राजदूत जावेद अशरफ ने कहा, ये सब एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया. मीडिया ने बिना किसी ठोस सबूत के ये दिखाया भारतीय वायुसेना कमजोर है.
क्यों F-16 या टाइफून को नहीं घसीटा गया?
जिन जेट्स को भारत ने कभी खरीदा ही नहीं, उनके सपोर्ट में पश्चिमी मीडिया खड़ा हो गया. भारत ने जब रफाल को चुना, तो अमेरिका और यूरोपीय देश चिढ़ गए क्योंकि उनके F-16, F-18, और टाइफून भारत में नहीं बिक पाए.
3 बड़ी मीडिया रिपोर्ट्स, 1 ही एजेंडा
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया कि चीन के हथियार बेहतर हैं, और भारत के 5 फाइटर जेट्स (जिसमें रफाल भी शामिल) गिरा दिए गए. एक ने तो पाकिस्तानी डिफेंस सोर्स को कोट किया, और रफाल के गिरने की खबर छाप दी.
क्यों भारत से परेशान हैं अमेरिका और चीन?
बता दें कि भारत ने अमेरिकी THAAD सिस्टम की जगह रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को चुना, इस फैसले से अमेरिका को बड़ा झटका लगा. इसी कारण बिना वेरीफिकेशन के मीडिया ने S-400 के फेल होने की खबरें चलाईं.
चीन की चालबाजियां भी हुईं फेल…
चीन ने दावा किया कि उनके JF-17 ने आदमपुर एयरबेस पर तैनात S-400 को गिरा दिया. लेकिन ये दावा तब झूठा साबित हो गया जब खुद प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) उसी एयरबेस पर पहुंचे और बैकग्राउंड में ऑपरेशनल S-400 दिखा.
भारत को फिर से खरीददार बनाना मकसद
भारत को अभी भी 100+ फाइटर जेट्स की जरूरत है. इसलिए अमेरिका और यूरोपीय देश चाहते हैं कि भारत इस बार रफाल न खरीदे, बल्कि उनके F-16, F-18 या टाइफून पर भरोसा करे. इसलिए वह रफाल को बदनाम करने की रणनीति अपना रहे हैं.