रुद्रप्रयाग. पहाड़ों में लगातार आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे जंगलों को नुकसान तो हो ही रहा है लेकिन इसके साथ-साथ वहां मौजूद जंगली जानवरों, पेड़-पौधों, जड़ी-बूटियों की भी क्षति हो रही है. जिसे देखते हुए देवभूमि की महिलाओं ने एक बार फिर से (चिपको आंदोलन की भांति) जंगलों को बचाने का बीड़ा उठा लिया है. महिलाएं वन विभाग और सरपंच के साथ मिलकर एक बढ़ी भूमिका के लिए तैयारियां कर रही हैं.
रुद्रप्रयाग जिले की वन पंचायत सरपंच ऊखीमठ ने स्थानीय महिलाओं को जंगलों की सुरक्षा के लिए जागरूक किया है. सरपंच ने करीब 800 से 1000 महिलाओं के साथ मिलकर जंगलों को आग से बचाने के लिए नई मुहिम शुरू की है. दरअसल, ऊखीमठ के वन पंचायत सरपंच जंगलों में लगने वाली आग को रोकने और वन संपदा को राख होने के बचाने के लिए ग्रामीण महिलाओं से लगातार संवाद कर रहे हैं. उन्हें वनाग्नि से होने वाले नुकसान की बारीकी से जानकारी भी दे रहे हैं. इसके साथ ही जंगलों की सुरक्षा की भी जानकारी से रूबरू करा रहे हैं. इस पहल का असर महिलाओं पर हुआ है. महिलाएं जंगलों में आग लगाने वालों पर पैनी नजर बनाए हुई हैं.
गौरा देवी के जैसा होगा प्रयास
सरपंच पवन ने कहा कि ग्रामीणों को जंगलों में आग न लगाने के लिए जागरूक होने की जरूरत है. साथ ही जंगल में आग लगाने वाले लोगों को अनिवार्य रूप से सजा दी जायेगी और घटना की सूचना देने वालों को सम्मानित किया जाएगा. कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए जंगलों में आग लगा देते हैं. जिससे जंगलों, जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचता है. महिलाओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी को बढ़ चढ़कर अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी होगी. वहीं महिलाओं ने कहा कि जिस प्रकार 1973 में गौरा देवी द्वारा अपनी 27 सहेलियों के साथ मिलकर जंगलों को बचाने के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी थी. उसी प्रकार वह भी जंगलों को कटने और जलने से बचाने के लिए हर एक प्रयास करेंगी.