नई दिल्ली: किसी भी चुनाव के परिणाम आने के बाद एक अक्सर ईवीएम को लेकर सवाल उठाए जाते हैं. तमाम विपक्षी दल ईवीएम के जरिए चुनाव में धांधली का आरोप लगाती रही हैं. कांग्रेस काफी समय से बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग करती आ रही है. वहीं अब ईवीएम के मुद्दे पर कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के दलों का साथ मिलता दिख रहा है. ऐसे में इस मुद्दे को लेकर विपक्ष सरकार से दो-दो हाथ करने का रोड मैप बनाने की तैयारी में है.
दरअसल साल 2018 में जब राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे उस दौरान पास हुए प्रस्तावों में एक प्रस्ताव ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने को लेकर भी था. हालांकि कभी मुखर कभी चुप्पी रखकर कांग्रेस कोई सीधी लाइन नहीं ले पाई और ये प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया. अब एक बार फिर से कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया है.
बैलेट पेपर को लेकर आंदोलन का ऐलान
साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में 99 सीटें पाने के बाद जब हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली तो पार्टी ने हार का ठीकरा चुनाव आयोग के साथ ही एक बार फिर से ईवीएम पर फोड़ा. उसने ईवीएम पर फिर से सवाल खड़े किए. इस बीच बीते 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बार फिर से बैलेट से चुनाव कराने की मांग की. उन्होंने खुलकर इसके लिए आंदोलन करने का ऐलान किया.
इंडिया गठबंधन के दलों से की जाएगी बात
खरगे के इस ऐलान के बाद पार्टी के अंदर जो लोग ईवीएम को दुरुस्त बताते थे वो लोग भी खामोश हो गए. कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने इस पर कहा कि उन्होंने सिर्फ अपनी राय दी थी, लेकिन अब अध्यक्ष ने जो कहा वही पार्टी लाइन है और उसे ही माना जाएगा. वहीं कांग्रेस के इस ऐलान के बाद इंडिया गठबंधन के दलों को इस मुद्दे पर साथ लाने की कवायद ते हो चली है. समाजवादी पार्टी, जेएमएम, एनसीपी-शरद गुट, शिवसेना-यूबीटी समेत संसद में फ्लोर लीडर्स की मीटिंग से नदारद रहने वाली टीएमसी ने भी इस मुद्दे पर सहमति दे दी है.
हालांकि, इंडिया गठबंधन के बीच इस मुद्दे पर मजबूत जोड़ बनाने के लिए खरगे और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सभी दलों के सुप्रीमो से बात करेंगे. उसके पहले कांग्रेस पार्टी 29 तारीख को कार्यसमिति में बैठक में अपने रोड मैप पर चर्चा करेगी. इस मुद्दे को लेकर पार्ची के सभी नेताओं को एक लाइन पर रहने की हिदायत दी ही जा चुकी है. इस बैठक के बाद कांग्रेस अपने रोड मैप को इंडिया गठबंधन के नेताओं से साझा करेगी और उनके सुझाव लेगी. इसके बाद इस मुद्दे को कैसे आगे ले जाना है इस पर अंतिम रूप दिया जाएगा.