सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिले में देश के सबसे ऊंचे मंदिर का निर्माण होगा। यह मंदिर मां जानकी यानी माता सीता की होगी। 251 फीट के मंदिर निर्माण की गतिविधि तेज कर दी गई है। रामायण रिसर्च काउंसिल के द्वारा दिव्य मंदिर का निर्माण कराया जाना है। शुक्रवार को डुमरा के एक होटल में काउंसिल से जुड़े निरंजनी आखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी चितप्रकाशानंद जी महाराज की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। उन्होंने मंदिर के निर्माण कार्य से जुड़ी बातों की विस्तार से जानकारी दी। कहा, यह जानकी की धरती है, जिससे यह ऊर्जा, शक्ति और वैभव से भरी हुई है। उन्होंने बताया कि वे वृंदावंद, अयोध्या और हरिद्वार के साधु-संतों से जानकी मंदिर की चर्चा की, तो इस भूमि के प्रति संतों में गजब का उत्साह और लगाव दिखा। फिर वे पूरे देश के तीर्थ क्षेत्र को जोड़ने की मुहिम में जुट गए कहा कि मिथिला भगवती का पूरा क्षेत्र है, जिसे “तीर्थ क्षेत्र” के नाम से विकसित किए जायेंगे।
51 शक्ति पीठों से आयेगी मिट्टी
स्वामी जी ने कहा कि देश में 39 शक्ति पीठ है। शेष शक्ति पीठ श्रीलंका, इंडोनेशिया और बाली समेत अन्य देशों में है। रामायण रिसर्च काउंसिल के ट्रस्टी राजीव कुमार सिंह ने बताया कि मां जानकी की मंदिर का निचला भाग वृत्ताकार होगा। उसके चारों ओर से मां के 108 विग्रह (स्वरूपों) को प्रदर्शित किया जायेगा। मंदिर के लिए 55 एकड़ भूमि की जरूरत है, जिसमें से 35 एकड़ उपलब्ध हो चुका है। शेष कुछ माह के अंदर उपलब्ध हो जायेगा। महामंडलेश्वर ने कहा कि चुनाव बाद मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू हो जायेगा। इसका शिलान्यास पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों होना है। हालांकि उन्होंने पीएम मोदी का नाम नही किया, पर संकेत दिया।
बखरी महंत का खास योगदान
गौरतलब है कि मंदिर निर्माण में बखरी मठ के महंत के द्वारा खास योगदान दिया जा रहा है। महंत द्वारा माता सीता की 251 फीट ऊंची प्रतिमा के निर्माण के लिए 14 एकड़ जमीन दान में दी गई है। मां सीता की बनने वाली यह प्रतिमा विश्व में सबसे ऊंची होगी। अयोध्या में नव निर्मित श्रीराम मंदिर के आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा भी मंदिर स्थल का भ्रमण कर चुके है। बताया गया है कि मंदिर निर्माण में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार द्वारा हर संभव सहयोग की बात कही गई है। मौके पर साध्वी के आलावा बबन सिंह, ऋषिकेश, ध्रुव सर्राफ व शुभेंदु सौरभ भी मौजूद थे।