पटना : लोकसभा चुनाव से पहले कई नेता पाला बदलने की तैयारी में जुटे गए हैं. दरअसल जेडीयू ही नहीं आरजेडी में नेताओं की लंबी फौज है जो अपने टिकट को लेकर पार्टी हाईकमान पर लगातार दबाव बनाए है. पार्टी हाईकमान से अबतक कोई ठोस जवाब नहीं मिलने की वजह से उनमें असमंजस की स्थिति है. ज़ाहिर है इस वजह से कई नेता अलग अलग पार्टियों के संपर्क में हैं जिनमें कुछ आरजेडी के पूर्व मंत्री, सांसद और वर्तमान सरकार में मंत्री भी हैं. इन्हें आरजेडी से टिकट नहीं मिला तो पार्टी के खिलाफ बगावत कर एनडीए का रुख कर सकते हैं. ऐसे में लालू प्रसाद यादव खुद डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं.
आरजेडी इंडिया गठबंधन में बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है. आरजेडी 16 के आसपास सीटों पर लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों को अपने कोटे से टिकट देगी ये लगभग तय है. आरजेडी का गठबंधन पांच अन्य दलों से है जिसमें जेडीयू,लेफ्ट की तीन पार्टियां और कांग्रेस पार्टी प्रमुख हैं. ऐसे में 40 लोकसभा सीटों पर आरजेडी के कई नेता अपनी दावेदारी को लेकर पार्टी हाईकमान पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं. इन नामों में एक नाम शैयद शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब का भी है. वो पिछले कुछ समय से आरजेडी से नाराज चल रही हैं. उन्हें राज्यसभा में भेजे जाने की उम्मीद थी, लेकिन आरजेडी नीतीश कुमार के साथ गठबंधन का हिस्सा बनने के बाद से ही शहाबुद्दीन के परिवार से किनारा कर चुकी है. आरजेडी ऐसा राजनीतिक वजहों से भी कर रही है. लेकिन हीना शहाब हर हाल में अपनी राजनीतिक विरासत को बचाने के फिराक में हैं. इसलिए सीवान से टिकट नहीं दिए जाने पर आरजेडी के विरोध में मैदान में उतरने का मन बना चुकी हैं.
भाजपा में जा सकती हैं कविता सिंह
वैसे सीवान से वर्तमान सांसद जेडीयू से कविता सिंह हैं जो हिंदू वाहिनी से नजदीकी की वजह से जेडीयू को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम सकती हैं. आरजेडी सीवान लोकसभा की सीट जेडीयू कोटे में देने का मन बना चुकी है. इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव में जेडीयू का उम्मीदवार ही इंडिया गठबंधन की तरफ से सीवान में उम्मीदवार होने वाला है. इसलिए कहा जा रहा है कि कविता सिंह द्वारा पाला बदले जाने पर ओम प्रकाश यादव की जेडीयू में वापसी हो सकती है और वो इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर सीवान से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं. वैसे ओमप्रकाश यादव पहले सीवान से सांसद रह चुके हैं और हीना शहाब के कट्टर विरोधी बताए जाते हैं. आरजेडी से हीना शहाब पहले से ही नाराज चल रही हैं. उनकी नाराजगी की वजह से आरजेडी को गोपालगंज विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ चुका है. लेकिन आरजेडी के सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी यादव लोकसभा चुनाव में बाहुबलियों को टिकट देने के पक्ष में नहीं हैं. इसलिए कई अन्य सीटों पर भी बाहुबलियों का भविष्य अधर में लटक गया है.
बगावत कर सकते हैं कई नेता
वर्तमान सहकारिता मंत्री सुरेन्द्र यादव भी जहानाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार चंदेश्वर प्रसाद से उनकी हार हुई थी. पिछले चुनाव में जेडीयू एनडीए का हिस्सा था. इस चुनाव में जेडीयू और आरजेडी का गठबंधन है. इसलिए जातीय सर्वे में अतिपिछड़ों की संख्या 36 फीसदी सार्वजनिक होने के बाद चंद्रेश्वर प्रसाद का टिकट कटना मुश्किल लग रहा है. चंदेश्वर प्रसाद जहानाबाद के वर्तमान सांसद हैं और अतिपिछड़े समाज से आते हैं. इसलिए उनका टिकट काटना इंडिया गठबंधन के लिए आसान नहीं है ऐसा माना जा रहा है.
ज़ाहिर है इस हालात में सुरेन्दर यादव मौके के इंतजार में बैठे हैं. सूत्र बताते हैं कि अंतिम समय तक सुरेन्दर यादव अपना प्रयास जारी रखेंगे और फिर भी टिकट नहीं मिला तो पाला बदलकर भी दांव आजमाने के लिए मैदान में उतर सकते हैं. यही हालत वर्तमान आरजेडी विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी का है. ये आरजेडी से विधायक हैं और लोकसभा चुनाव लड़ने का सपना संजोए बैठे हैं. जातीय सर्वे रिलीज होने के बाद इन्हें अपनी दावेदारी प्रबल दिखाई पड़ रही है. जाहिर है इंडिया अलायंस से टिकट नहीं मिलने के बाद इनका मन भी डोल सकता है इसकी संभावना ज़ताई जा रही है. भागलपुर से पूर्व लोकसभा सदस्य बुलो मंडल भी इसी फिराक में हैं. वो साल 2014 में लोकसभा सदस्य बने थे. इस बार उनकी इच्छा भी लोकसभा चुनाव लड़ने की है लेकिन जेडीयू के हिस्से में टिकट जाने के बाद उनका रुख इंडिया गठबंधन विरोधी हो सकता है ये तय माना जा रहा है.
सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है ये नाम
बगावत करने वालों में सबसे चौंकाने वाला नाम विजय प्रकाश का है. विजय प्रकाश साल 2020 के चुनाव में हार गए थे. उससे पहले महागठबंधन की सरकार में मंत्री रह चुके हैं. विजय प्रकाश बांका से ही लोकसभा चुनाव लड़ने के फिराक में हैं जहां से उनके भाई जय प्रकाश यादव का टिकट तय माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि विजय प्रकाश अपने भाई जय प्रकाश यादव से राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते दूरी बना चुके हैं. इसलिए लालू परिवार से उनके संबंध पहले वाले नहीं रह गए हैं. दरअसल जय प्रकाश यादव लालू प्रसाद के बेहद करीबी हैं इसलिए बांका सीट जेडीयू सियासी वजहों के अलावा लालू प्रसाद की मांग की वजह से छोड़ सकती है. ज़ाहिर है बांका में आगामी लोकसभा चुनाव में दो भाई मैदान में आमने सामने हों इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है.
टिकट बंटवारे में देरी से परेशान हैं उम्मीदवार
आरजेडी की समस्या तब बड़ी होती दिख रही है जब साल 2019 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी के एक भी प्रत्याशी लोकसभा चुनाव जीतने में नाकामयाब रहे थे. जेडीयू भी इन्ही समस्याओं से दो चार हो रही है.सीतामढ़ी के सांसद सुनील कुमार पिंटो सहित कटिहार के दुलारचंद गोस्वामी का नाम जोर शोर से लिया जा रहा है. दरअसल ये दोनों एमपी जेडीयू से हैं, लेकिन इनकी सीटें आरजेडी और कांग्रेस को जाने की तैयारी लगभग हो चुकी है. कटिहार से कांग्रेस के दिग्गज नेता तारीक अनवर चुनावी मैदान में होंगे वहीं सीतामढ़ी जेडीयू आरजेडी को देने का मन बना चुकी है.
यही हाल पूर्णियां से सांसद संतोष कुशवाहा, रामप्रीत मंडल, कौशलेन्द्र कुमार का भी बताया जा रहा है. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग के फॉर्मूले के बाद जेडीयू और आरजेडी में भगदड़ तय माना जा रहा है. कई नेता वर्तमान सांसद हैं, जबकि कुछ विधायक और पूर्व सांसद जो हर हाल में लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार बैठे हैं. ऐसे में उन्हें महागठबंधन से टिकट नहीं दिया जाता है तो एनडीए के अलावा निर्दलिय भी चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं. वैसे बीजेपी को भी इन समस्याओं से दो चार होना पड़ सकता है. बीजेपी के भी कई नेता टिकट नहीं मिलने पर जेडीयू का दामन थाम सकते हैं, जिनमें राजीव प्रताप रूडी और ओमप्रकाश यादव का नाम भी सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है.