बर्लिन: यूरोप के देश कोसोवो में इन दिनों हर घंटे बिजली जा रही है। दिन और रात में छह घंटे तक की बिजली कटौती ने 20 लाख की आबादी वाले देश की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। यह यूरोप का वह पहला देश है जहां बिजली कटौती और गैस की कमी ने भविष्य की एक तस्वीर दिखा दी है। राजधानी प्रिस्टिनिया स्थित थिंक टैंक इनडेप में एनर्जी एक्सपर्ट लिरॉन जोसैज को समझ नहीं आ रहा है कि इस बार सर्दियों में क्या होगा जब यह संकट चार गुना तक बढ़ जाएगा। यहां पर लोगों को ठंडे पानी से काम चलाना पड़ रहा है और ऑफिसेज में भी बिजली सोच-समझकर प्रयोग करनी पड़ रही है।
रूस ने की पाइपलाइन बंद
पिछले दिनों रूस ने जर्मनी तक जाने वाली एक अहम गैस पाइपलाइन को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया। शुक्रवार को रूस के सबसे बड़ी गैस कंपनी गैजप्रॉम ने कहा है कि नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन को को फिर से खोला जाना था लेकिन अब जब तक इसका इंजन रिपेयर नहीं हो जाता, तब तक इसे बंद रखा जाएगा। इस पाइपलाइन के बंद होने के बाद अब यूरोप में ऊर्जा का संकट गहराने के आसार हैं। यूरोप के कई विशेषज्ञ हालातों के लिए रूस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार की सर्दियां यूरोप के लिए बहुत ही विनाशकारी हो सकती हैं। उनका कहना है कि यहां के हालातों को नजरअंदाज करना असंभव है जो कि और खराब होने वाले हैं।
एनर्जी पॉवर्टी की आहट
अगस्त के माह में प्राकृतिक गैस की कीमतों में 610 फीसदी का इजाफा हुआ था और यह 3100 डॉलर प्रति 1000 क्यूबिक मीटर तक चली गई हैं। यूक्रेन की राजधानी कीव में अमेरिकी दूतावास पर तैनात रह चुकीं सूरिया जयंती का कहना है कि इन हालातों में हर घर को बिजली और घरों को गर्म रखने के लिए बहुत ज्यादा कीमत अदा करनी पड़ेगी।
यूरोपियन सरकारों ने 279 बिलियन डॉलर पहले ही छोटे उपभोक्ताओं की मदद के लिए तय कर दिए हैं लेकिन यह रकम बहुत कम है। उनका कहना है कि यूके के 85 लाख लोगों को इन सर्दियों में ‘एनर्जी पावर्टी’ का सामना करना पड़ेगा। कई जगह पर ब्लैकआउट्स तक शुरू हो गए हैं। हर छह घंटे के बाद दो घंटे तक के लिए बिजली जा रही है। यूरोप के कुछ और देशों में भी यही हालात होने वाले हैं।
रूस का बड़ा हथियार
गैजप्रॉम रूस की सरकारी गैस कंपनी है और यह साल 2021 से ही यूरोप के देशों को होने वाली गैस की सप्लाई में कटौती करती आ रही थी। सूरिया का कहना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने विरोधियों के खिलाफ वह हथियार प्रयोग करना शुरू कर दिया है जिसकी कभी कल्पना तक नहीं की गई थी। यह एक नई रणनीति है और धीरे-धीरे पुतिन इसमें सफल भी हो रहे हैं। अब खतरा इस बात का है कि कहीं गैजप्रॉम रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की सजा के तहत यूरोप के लिए सप्लाई को पूरी तरह से बंद न कर दें।
सबसे बड़ा मार्केट
यूरोप का एनर्जी मार्केट पूरी तरह से रूस पर निर्भर है। पिछले 10 वर्षों में रूस को यूरोप से 120 अरब डॉलर का रेवेन्यू सिर्फ बिजली और गैस बेचकर ही हुआ है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि रूस इस तरह का कोई कदम उठाने से पहले सोचेगा। गैजप्रॉम की कटौती के चलते साल 2021 से ही जर्मनी में गैस का भंडार खाली होने लगा है। मार्च 2022 से गैजप्रॉम कुछ न कुछ बहाने बनाकर गैस की सप्लाई को रोक देता है। गैजप्रॉम ने छह खरीददार देशों को गैस की सप्लाई बंद कर दी है जिसमें फिनलैंड, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड्स, पोलैंड और बुल्गारिया शामिल हैं।
चीन को हो रहा है फायदा
गैजप्रॉम ने अब गैस की सप्लाई का मुंह चीन की तरफ मोड़ दिया है। सर्बिया की नैचुरल गैस पाइपलाइन के जरिए गैस चीन को निर्यात हो रही है। यह गैस लाइन सर्बिया से पूर्वी चीन तक जाती है। साल 2021 से गैस के निर्यात में 61 फीसदी का इजाफा हुआ है और जुलाई से तो निर्यात 300 फीसदी तक बढ़ चुका है। गैजप्रॉम का कहना है कि इस पूरी स्थिति के लिए यूरोप जिम्मेदार है। यूरोप की सबसे बड़ी गैस और ऑयल कंपनी शेल के चीफ एग्जिक्यूटिव बेन वैन ब्यूरडेन ने चेतावनी दी है कि जो हालात हैं उसके बाद यूरोप को कई सालों तक राशन के तौर पर ऊर्जा हासिल करनी होगी। यह संकट सिर्फ इस सर्दी का नहीं है बल्कि आने वाली कई सर्दियों तक इसे झेलना पड़ेगा।