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महाकुंभ की व्यवस्था, नई सरकार के चयन से पहले लगा राष्ट्रपति शासन?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
18/01/25
in राज्य, समाचार
महाकुंभ की व्यवस्था, नई सरकार के चयन से पहले लगा राष्ट्रपति शासन?
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प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में विशाल और दिव्य धार्मिक आयोजन महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है. महाकुंभ की शुरुआत होते ही अखाड़ों की सरकार का कार्यकाल भी पूरा हो गया और इसके बाद अखाड़ों का कामकाज देखने वाली सभी कार्यकारिणी को भंग कर दिया. अखाड़ों की सरकार का कार्यकाल खत्म होने के बाद राष्ट्रपति शासन की तरह ही पंचायती व्यवस्था को लागू कर दिया गया है.

बता दें कि महाकुंभ का आगाज 13 जनवरी को हुआ है जो 26 फरवरी 2025 तक चलेगा. अखाड़ों की सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद फिलहाल पंचायती व्यवस्था अखाड़ों की आतंरिक व्यवस्था के कामकाज को देखेगी और कुंभ के दौरान ही नई सरकार चुनी जाएगी, जिसका कार्यकाल 6 साल का होगा.

अखाड़ों की व्यवस्था के लिए होता है 8 महंतों का अष्टकौशल

अखाड़ों की अपनी अलग कानून व्यवस्था होती है. संन्यासी परंपरा के सभी 7 अखाड़ों में नागा संन्यासी, महामंडलेश्वर और हजारों सदस्य होते हैं. अखाड़े अपने इसी विशाल परिवार के संगठन को चलाने के लिए अष्टकौशल यानी आठ महंतों पर निर्भर होते हैं, जिनका बकायदा चुनाव किया जाता है. इनकी सहायता के लिए आठ उप महंत भी होते हैं और 16 सदस्यों की कमिटी अन्य पदों का चयन करती है.

स्थापित हुई चेहरा-मोहरा की व्यवस्था

महाकुंभ की शुरुआत होते ही अष्टकौशल समेत अन्य कार्यकारिणी का भी कार्यकाल समाप्त हो गया. अब पूरे महाकुंभ तक पंचायती परंपरा के मुताबिक फैसले लिए जाएंगे. अखाड़े जब छावनी में प्रवेश करते हैं तो कार्यकारिणी का कार्यकाल पूरा माना जाता है और इसके बाद ‘चेहरा मोहरा’ के द्वारा कुंभ मेले की व्यवस्था की जाती है. चेहरा मोहरा में सभी महंत एक साथ बैठकर चर्चा करते है और जरूरी विषयों पर निर्णय लेते हैं.

अखाड़ों मे चलता है पंचायती राज

अखाड़ों में जरूरी फैसले पंचों के जरिए होता है. इसलिए पंचायती अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, श्रीशंभू पंचायती अटल अखाड़ा, तपोनिधि पंचायती श्रीनिरंजनी अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा आनंद, इन सभी के नाम से पहले पंचायती शब्द जुड़ा होता है.

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