गौरव अवस्थी
वायनाड : वायनाड में वही हुआ जिसकी उम्मीद थी। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। य़ह तो होना ही था। सामने आए चुनाव परिणाम की खास बात य़ह है कि कॉंग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी न केवल कांग्रेस के घटे जनाधार को वापस लौटा लाई बल्कि कुछ इजाफा भी कर दिया। 6 महीने पहले हुए आम चुनाव में मतदान और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को मिले वोटो में 5% की गिरावट आई थी।
उपचुनाव और प्रियंका गांधी की जीत के अति नाते मतदान प्रतिशत तो करीब 9.50 प्रतिशत घट गया लेकिन प्रियंका के करिश्माई व्यक्तित्व के चलते कांग्रेस का खोया वैभव वापस लौट आया। उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रियंका गांधी को 64.99% प्रतिशत वोट मिले हैं। 2019 में चुनाव में राहुल गांधी 64.94% वोट पाए थे। बहुत कम अंतर ही सही लेकिन प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी के वायनाड से सर्वाधिक वोट पाने के प्रकार को भी तोड़ दिया है।
माना जा रहा है कि अगर चुनाव में वोटिंग कम न हुई होती तो प्रियंका गांधी के मिले वोटो का प्रतिशत कहीं अधिक होता और कांग्रेस के 5 लाख वोटो से प्रियंका गांधी की जीत का दावा भी सच साबित हो गया होता। वायनाड के वोटर प्रियंका की रिकॉर्ड जीत के लिए पहले से ही मन बना चुके थे। उपचुनाव को लेकर लिखी गई रिपोर्ट में पहले भी हमने वोटरों की इस भावना को पाठकों के सामने रखने की कोशिश की थी। तब कुछ विश्लेषकों ने कांग्रेस के दावों और वोटरों के मन की बात को खारिज करने का प्रयास किया था लेकिन चुनाव परिणाम ने पूर्वानुमानों को सच साबित कर दिया।
उपचुनाव के परिणाम का यह एक महत्वपूर्ण पक्ष तो है लेकिन इससे भी अधिक महत्व की बात एलडीएफ और एनडीए के वोटो में सेंधमारी की है। प्रियंका गांधी के सामने बीजेपी और एलडीएफ टिक नहीं पाए। 6 महीने पहले हुए आम चुनाव में बीजेपी ने अपने वोटो में 6% की वृद्धि के साथ 13% और एलडीएफ ने 26.9% वोट हासिल किए थे। प्रियंका गांधी के करिश्माई व्यक्तित्व के आगे एलडीएफ और एनडीए दोनों के वोट प्रतिशत घट गए। उप चुनाव में एलडीएफ को 4% और बीजेपी को डेढ़ प्रतिशत वोट कम मिले हैं। वायनाड की राजनीति में गांधी परिवार के दबदबे और देश की राजनीति में नए माहौल के य़ह नए संकेत हैं।