नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर जल्द शुभ समाचार मिल सकता है. इसको लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा में 14 मार्च को संकेत भी दिए थे, जिसके मुताबिक जल्द ही कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ होने वाला है. इसके लिए प्रदेश सरकार प्रमोशन प्रक्रिया को लागू करेगी. यदि इस पर अमल किया जाता है, तो हजारों कर्मचारियों का इंतजार खत्म हो जाएगा.
दरअसल, मध्यप्रदेश में पिछले 9 साल से कर्मचारी-अधिकारियों के प्रमोशन रुके हुए हैं. इस दौरान 1 लाख से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर भी हो चुके हैं. लेकिन, अब सरकार ने तीन प्रमुख क्राइटेरिया तय कर लिए हैं, जिससे प्रमोशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ हो सकता है.
इसलिए रुके थे प्रमोशन
बता दें कि साल 2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन के नियम बनाते हुए पदोन्नति में आरक्षण लागू किया, ऐसे में आरक्षित वर्ग के कर्मचारी प्रमोशन पाते गए, लेकिन अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पिछड़ गए. जब इस मामले में विवाद बढ़ने लगा तो कर्मचारियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने कोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने का आग्रह किया, जिसके बाद 2016 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस नियम को रद्द कर दिया. लेकिन, बात यहीं खत्म नहीं हुई और सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी तरह से ठप हो गई.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2018 के विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे ने राजनीतिक मोड़ लिया, जब ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भारी विरोध हुआ और बीजेपी को नुकसान भी उठाना पड़ गया.
हाईकोर्ट के फैसले पर सरकार की रणनीति
हाल ही में हाईकोर्ट ने तीन अहम निर्णय दिए, जिनमें पशु चिकित्सकों, नगरीय निकाय इंजीनियरों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को प्रमोशन देने का आदेश शामिल है. इसके बाद सरकार को यह निर्णय लेना पड़ा कि अब आगे की रणनीति तय की जाए.
सरकार ने बनाए तीन क्राइटेरिया
कर्मचारियों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन मिलेगा, लेकिन अभी यह साफ नहीं कि वरिष्ठता की गणना किस तारीख से होगी.
2002 से अब तक जिन 60,000 से अधिक SC-ST कर्मचारियों को प्रमोशन मिला है, उनका डिमोशन नहीं किया जाएगा. हालांकि, हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2024 को दिए फैसले में कहा था कि 2002 के आधार पर हुए प्रमोशन रद्द किए जाएं, लेकिन सरकार इसका नया समाधान निकालेगी.
फैसला का राजनीति पर कितना असर
प्रमोशन को लेकर सीएम मोहन यादव के बयान के बाद कर्मचारियों में उम्मीद बढ़ी है, लेकिन ऐसा तभी संभव हो सकेगा जब विपक्ष के समर्थन से प्रमोशन से जुड़े मुद्दों को स्थायी समाधान मिले. ऐसे में अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस मुद्दे को पूरी तरह सुलझाने सकेगी, या फिर यह मामला आगे भी कानूनी दांवपेंच में उलझकर रह जाएगा.