नई दिल्ली l ‘समिट फॉर डेमोक्रेसी’ में राष्ट्रपति बिडेन द्वारा आयोजित 12 मुख्य नेताओं के पूर्ण सत्र में भाग लेने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया गया था. बंद कमरे के इस सत्र में भारत सहित 12 चुनिंदा देशों को शामिल किया गया. आज समिट के दूसरे दिन, मोदी ने कहा कि उन्हें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करने पर गर्व है.
लोकतांत्रिक भावना हमारी सभ्यता का अभिन्न अंग
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक भावना हमारी सभ्यता का अभिन्न अंग है. सदियों का औपनिवेशिक शासन भारतीय लोगों की लोकतांत्रिक भावना को दबा नहीं सका. भारत की स्वतंत्रता के साथ इस भावना ने फिर से पूर्ण अभिव्यक्ति पाई और पिछले 75 वर्षों में लोकतांत्रिक राष्ट्र-निर्माण में अलग भूमिका निभाई. बहुदलीय चुनाव, स्वतंत्र न्यायपालिका और स्वतंत्र मीडिया जैसी संरचनात्मक विशेषताएं लोकतंत्र के महत्वपूर्ण उपकरण हैं. हालांकि, लोकतंत्र की मूल ताकत वह भावना और लोकाचार है, जो हमारे नागरिकों और हमारे समाजों में निहित है. लोकतंत्र केवल जनता का ही नहीं, जनता के द्वारा, जनता के लिए, बल्कि जनता के साथ और जनता के भीतर भी होता है.
दुनिया ने लोकतांत्रिक विकास के विभिन्न रास्तों को अपनाया है. हम एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं. हम सभी को अपनी लोकतांत्रिक प्रथाओं और प्रणालियों में लगातार सुधार करने की जरूरत है. स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने और नए डिजिटल साधानों के ज़रिए शासन के सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता बढ़ाने में भारत को खुशी होगी. हमें सोशल मीडिया और क्रिप्टोकरंसी जैसी टेक्नोलॉजी के लिए वैश्विक मानदंडों को भी संयुक्त रूप से आकार देना चाहिए, ताकि उनका उपयोग लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए किया जा सके, न कि कमजोर करने के लिए.
एक साथ काम करके, हम नागरिकों की उम्मीदों को पूरा कर सकते हैं और मानवता की लोकतांत्रिक भावना पर खुशी मना सकते हैं. भारत इस नेक प्रयास में साथी देशों के साथ शामिल होने के लिए तैयार है.
खबर इनपुट एजेंसी से