जबलपुर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) जिला प्रशासन ने 10 निजी स्कूलों को 81,000 से ज्यादा विद्यार्थियों से कथित रूप से अवैध तौर पर वसूले गए लगभग 65 करोड़ रुपये की ट्यूशन फीस वापस करने का आदेश दिया है. शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी.
जांच में खुली अवैध फीस वसूली की पोल
जबलपुर के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) घनश्याम सोनी ने बताया कि इन निजी विद्यालयों ने कानून का उल्लंघन करते हुए ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी की थी. उन्होंने बताया कि इस संबंध में मध्य प्रदेश निजी स्कूल (फीस तथा संबद्ध विषयों का विनियमन) अधिनियम 2017 के तहत गठित जिला स्तरीय समिति ने इन स्कूलों के खातों की जांच की और पाया कि वे छात्रों से अतिरिक्त फीस ले रहे हैं.
स्कूलों को फीस वापस करने के आदेश
डीईओ सोनी के मुताबिक प्रशासन ने इन स्कूलों की ओर से 2018-19 और 2024-25 के बीच 81,117 छात्रों से कथित रूप से 64.58 करोड़ रुपये की अवैध फीस वसूली को रद्द कर दिया है. इसके बाद अब इन पैसों को अभिभावकों को वापस लौटाना होगा. डीईओ ने बताया कि उन्होंने मंगलवार को विद्यालयों को नोटिस जारी कर अवैध रूप से वसूली गई फीस विद्यार्थियों को वापस करने का आदेश दिया.
फीस और बुक सेलर्स के बीच गठजोड़ उजागर होने पर हुई कार्रवाई
जबलपुर के जिला प्रशासन ने फीस और पाठ्यपुस्तकों की कीमत कथित तौर पर अवैध रूप से बढ़ाने के लिए 27 मई को विद्यालयों के अधिकारियों और कुछ किताब दुकानों के मालिकों के खिलाफ 11 केस दर्ज किए थे. जिलाधिकारी दीपक सक्सेना के अनुसार विद्यालयों के अधिकारियों और पाठ्यपुस्तकों की दुकान मालिकों से जुड़ी विसंगतियां उजागर होने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की गई.
बिना मंजूरी के बढ़ा दिए थे फीस
जिलाधिकारी ने बताया कि इनमें से कुछ विद्यालयों ने सक्षम अधिकारियों की मंजूरी के बिना फीस में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की, जबकि अन्य ने 15 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी की.
फीस वृद्धि संबंधी ये है नियम
नियमों के अनुसार यदि कोई विद्यालय 10 प्रतिशत से अधिक फीस बढ़ाना चाहता है, तो उसके लिए जिला प्रशासन की मंजूरी लेनी जरूरी है. एक अधिकारी ने बताया कि अगर विद्यालय की फीस की प्रस्तावित बढ़ोतरी 15 प्रतिशत से अधिक है, तो संबंधित विद्यालय को राज्य सरकार की समिति से मंजूरी लेनी होगी.