नई दिल्ली: SCO की बैठक ऐसे वक्त पर होने जा रही है जब दुनिया के कई देशों के बीच समीकरण बदले हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15-16 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए उज्बेकिस्तान जाएंगे। सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हिस्सा लेंगे। यूक्रेन-रूस जंग के बाद पहली बार एक मंच पर यह नेता होंगे।
इस सम्मेलन में चर्चा और कयास इस बात के लगाए जा रहे हैं कि क्या पीएम मोदी के साथ चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ के साथ वन टू वन मुलाकात होगी। मोदी और पुतिन के बीच बैठक तय है लेकिन पाकिस्तान और चीन को लेकर अभी कुछ तय नहीं है। SCO की इस बैठक से पहले एससीओ की ऊफा बैठक की भी चर्चा है जब पीएम मोदी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच एक छोटी मुलाकात हुई थी।
सेना पीछे हटी, क्या मोदी और शी चिनफिंग की होगी मुलाकात
चीन और भारत के बीच गलवान के बाद रिश्ते काफी बिगड़ गए हैं। हालांकि हाल ही में भारत और चीन की सेनाओं ने घोषणा की थी कि गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस स्थान पर दोनों सेनाओं के बीच पिछले दो साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है। एससीओ की बैठक से पहले यह एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम मोदी और शी चिनफिंग के बीच बैठक को लेकर दोनों तरफ के अधिकारियों के बीच लगातार बातचीत चल रही है। हालांकि इसको लेकर कुछ भी कंफर्म नहीं किया जा रहा है। भारत और चीन एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर मोदी-शी की संभावित बैठक पर चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
हालांकि मुलाकात को लेकर इनकार भी नहीं किया जा रहा है। साल 2017 में भी डोकलाम के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य तनातनी से पैदा हुए हालात को सामान्य बनाने की कोशिश हुई थी। डोकलाम में 28 अगस्त 2017 को दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी थी और उसके बाद ब्रिक्स शिखरवार्ता में 5 सितंबर को पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच बैठक हो पाई थी। समरकंद में यह दोनों यदि मिलते हैं तो गलवान घाटी में जून 2020 में सैन्य संघर्ष के बाद यह पहली बैठक होगी।
2015 ऊफा वाली बात क्या दोहराई जाएगी
पाकिस्तान में सत्ता बदल चुकी है और अब नए पीएम शहबाज शरीफ और पीएम मोदी की मुलाकात को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। दोनों देशों की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आतंकवाद के खिलाफ जो स्टैंड वह बहुत ही क्लियर है और वह विश्व के अलग- अलग मंचों से इस खतरे के बारे में आगाह भी कर चुके हैं। वहीं पीएम शहबाज शरीफ का भारत को लेकर रवैया अलग तरह का ही है।
एक ओर जहां पाकिस्तान के वित्त मंत्री भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को समान्य करने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी ओर शहबाज शरीफ हैं जो कश्मीर मुद्दे से आगे नहीं बढ़ सके हैं। हालांकि यदि दोनों नेताओं की बैठक होती है तो वह साल 2015 में ऊफा में एससीओ की बैठक जैसी होगी। साल 2015 में ऊफा में एससीओ की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के तत्कालीन नवाज शरीफ के बीच छोटी सी मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बाद द्विपक्षीय रिश्तों को पटरी पर लाने की शुरुआत हुई थी लेकिन पठानकोट में आतंकियों के हमले के बाद रिश्ते तनावपूर्ण हो गए। इसके बाद से रिश्ते लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं।
3 साल बाद SCO का शिखर सम्मेलन
साल 2019 के बाद पहली बार SCO का शिखर सम्मेलन होगा जिसमें नेता मौजूद रहेंगे। जून 2019 में एससीओ सम्मेलन किर्गिस्तान के बिश्केक में आयोजित हुआ था। 2020 में मास्को शिखर सम्मेलन कोविड-19 महामारी के कारण ऑनलाइन तरीके से आयोजित किया गया था। वहीं दुशांबे में 2021 शिखर सम्मेलन हाइब्रिड तरीके से आयोजित किया गया था। एससीओ का मुख्यालय बीजिंग में है और इसमें रूस, चीन, भारत ,कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं।