रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के साथ परमाणु हथियारों की नियंत्रण संधि के आखिरी बचे हिस्से से अपने देश की भागीदारी निलंबित करने का फैसला लिया है. इस खतरनाक कदम से अब एक नए खतरे का अंदेशा पैदा कर दिया है. माना जा रहा है कि अब इस फैसले के बाद पुतिन कभी भी न्यूक्लियर अटैक कर सकते हैं.
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मॉस्को के इस कदम से तैनात किए गए कई अमेरिकी और रूसी परमाणु हथियार आधी सदी से भी ज्यादा समय में पहली बार अनियंत्रित हो जाएंगे. नाटो के पूर्व उप महासचिव और न्यू स्टार्ट संधि पर पहले अमेरिकी मुख्य वार्ताकार रोज गोटेमेलर ने कहा कि रूस का निलंबन हथियारों के नियंत्रण के लिए एक “आपदा” है.
क्या है न्यू स्टार्ट संधि?
बता दें, अमेरिका और रूस के बीच 1994 में स्टार्ट 1 संधी लागू की गई थी जिसके तहत दोनों ही देश अपनी तरफ 6,000 परमाणु हथियारों और 1,600 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) तैनात कर सकते थे. 2009 में इस संधि को खत्म कर दिया गया और नए तीरके से लागू किया गया जिसे इसे न्यू स्टार्ट संधि कहा जाने लगा. इस संधि के तहत दोनों देश इस बात पर सहमत हुए थे ति इस संधि के लागू रहने तक वह अपने परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित रखेंगे. ये संधी 2021 में खत्म होने वाली थी. फिर से इसे और पांच साल के लिए यानी 2026 तक बढ़ा दिया गया.
ऐसे में अब पुतिन के इस संधि से पीछे हटने के फैसले ने हथियारों की संख्या के अनियंत्रित होने का खतरा बढ़ा दिया है. वहीं रोज गोटेमेलर ने कहा कि ऐसे समय में जब अमेरिका अपने परमाणु हथियारों को अपग्रेड करना शुरू कर रहा है और चीन अपने आधुनिकीकरण कार्यक्रम पर काम कर रहा है, मॉस्को के लिए न्यू स्टार्ट संधि को छोड़ना ‘खतरनाक’ है.