नई दिल्ली। दुनिया भर में सैन्य खर्च लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सेना और हथियारों पर होने वाला यह खर्च साल 2023 रिकॉर्ड 2,443 बिलियन डॉलर पहुंच गया। भारत भी इस रेस में पीछे नहीं है और अमेरिका, चीन व रूस के बाद लिस्ट में चौथे नंबर पर है। नई दिल्ली की ओर से सेना के आधुनिकरण की कोशिशें जारी हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने सोमवार को इसे लेकर रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि 2023 में 83.6 अरब डॉलर के खर्च के साथ भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश रहा। भारत का यह खर्च पिछले वर्ष की तुलना में 4.2% अधिक था।
मई, 2020 में लद्दाख गतिरोध के बाद से भारत ने अपनी सैन्य क्षमताओं पर फोकस बढ़ा दिया है। चीन से लगी सीमा पर सैन्य बुनियादी ढांचे को और ज्यादा मजबूत करने पर काम जारी है। भारत लड़ाकू जेट, हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, टैंक, तोपखाने बंदूकें, रॉकेट और मिसाइलों के साथ अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। सैन्य क्षमताओं और दूसरी युद्ध प्रणालियों को मजबूती दी जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भी भारत सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाला चौथा देश था। उस समय भारत का सैन्य खर्च 81.4 बिलियन डॉलर था, जो 2021 की तुलना में 6% अधिक था और 2013 से 47% बढ़कर था।
सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाला दूसरा देश चीन
सिपरी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा सैन्य खर्चकर्ता चीन है। बीजिंग ने साल 2023 में अपनी सेना पर 296 बिलियन डॉलर खर्च किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6% अधिक है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन के कई पड़ोसी देशों ने अपने खर्च में बढ़ोतरी को चीन के बढ़ते सैन्य खर्च से जोड़ा है। साल 2022 में चीन का सैन्य खर्च 292 अरब डॉलर तक था। सैन्य खर्च से जुड़ी यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध चल रहा है। हालांकि, सीमा पर बने इस तनाव को कम करने के लिए बातचीत भी जारी है। बॉर्डर से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए दोनों के बीच 21 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है।