नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में हुए ट्रेन हादसे के बाद अब एक बार फिर रेलवे के उस ट्रैवल इंश्योरेंस की बात हो रही है, जो यात्री के हर टिकट में करवाया जाता है. आपने देखा होगा कि जब भी आप ट्रेन की टिकट करवाते हैं तो उसमें कुछ पैसे से एक इंश्योरेंस किया जाता है, जो आपका जर्नी को सिक्योर करता है. कोई भी अनहोनी होने की स्थिति में इस इंश्योरेंस के जरिए पीड़ित या उनके परिवारजनों को आर्थिक मदद दी जाती है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर इस इंश्योरेंस से कितना रेवेन्यू आता है और कितने पैसे इसमें से वापस किए जाते हैं?
क्या है इस इंश्योरेंस का हिसाब किताब?
- बता दें कि आईआरसीटीसी की ओर से हर टिकट पर एक रुपये से कम का एक प्रीमियम वसूला जाता है. इस प्रीमियम के जरिए 10 लाख रुपये का इंश्योरेंस किया जाता है. आईआरसीटीसी दूसरी प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों से इंश्योरेंस करवाती है और दुर्भाग्यवश कोई घटना होने पर इंश्योरेंस कंपनी इनके क्लेम का भुगतान करती है.
- अगर साल 2016-17 की बात करें तो इस साल इंश्योरेंस कंपनियों को पैसेंजर इंश्योरेंस से 11 करोड़ रुपये मिले, जिसमें से सिर्फ 0.76 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
- साल 2017-18 में 38.54 करोड़ रुपये इंश्योरेंस प्रीमियम से मिले, जिसमें से 3.59 करोड़ रुपये क्लेम के रुप में दिए गए. इस दौरान इंश्योरेंस का पैसा यात्रियों से नहीं लिया गया था, जबकि आईआरसीटीसी ने इंश्योरेंस कंपनी को ये पेमेंट किया था.
- इसके बाद साल 2018-19 में 8.53 करोड़ रुपये इंश्योरेंस प्रीमियम से कलेक्ट हुए थे और इसमें से 6.12 करोड़ रुपये वापस भुगतान किए गए.
- साल 2019-20 में इंश्योरेंस कंपनियों को 12.71 करोड़ रुपये मिले और इसमें से 3.53 करोड़ रुपये वापस भुगतान किए गए.
इस इंश्योरेंस में क्या क्या मिलता है?
इस इंश्योरेंस में किसी दुर्घटना में मौत होने और परमानेंट डिसेबिलिटी होने की स्थिति में 10 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है. इसके अलावा आंशिक डिसेबिलिटी की स्थिति में 7.5 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है. इसके अलावा घायल होने पर अस्पताल खर्च के लिए 2 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है.