जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए एक चरण में मतदान 25 नवंबर को संपन्न कराया जाएगा. इस बीच राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस जीत की कोशिशों के लिए पूरी तरह लगी हुई हैं. 23 नवंबर को चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है. इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस सरकार के सभी मंत्री पार्टी के प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं. इस बार टक्कर कांटे की है. हालांकि, अशोक गहलोत के पिछले दो कार्यकालों का आंकड़ा देखा जाए तो यह सामने आता है कि दिग्गज हार जाते हैं. इस बार यह परंपरा बरकरार रहेगी या फिर मिथक टूटेगा?
जानकारी के मुताबिक, अशोक गहलोत के 21 मंत्री सीधे मुकाबले में हैं. वहीं 5 मंत्रियों के सामने बागियों ने टेंशन खड़ी कर दी है. इन बागियों ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. पिछले दो चुनाव का ट्रेंड यह कहता है कि इस बार भी कांग्रेस के मौजूदा मंत्री चुनावी मुकाबले में फंसे हुए हैं. वहीं, आमतौर पर यह भी देखा गया है कि बीजेपी के मुकाबले कांग्रेसियों को एंटी-इन्कम्बेंसी का सामना ज्यादा करना पड़ता है.
राजस्थान के ये मंत्री त्रिकोणीय मुकाबले में
राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि कांग्रेस सरकार के मंत्री भंवर सिंह भाटी, प्रताप सिंह खाचरियावास, अशोक चांदना, अशोक चांदना, अर्जुन लाल बामणिया, टीकाराम जूली, जाहिदा खान, विश्वेंद्र सिंह, ममता भूपेश, बीडी कल्ला, भजनलाल जाटव, प्रमोद जैन भाया और रमेश मीणा सीधे मुकाबले में हैं. वहीं, मंत्री सुखराम विश्नोई भी मुकाबले में हैं.
इसके अलावा, राजस्थान की कांग्रेस सरकार के चार मंत्री राजेंद्र यादव, मुरारी लाल मीणा, बृजेंद्र ओला और शकुंतला रावत के लिए मुकाबला त्रिकोणीय है.
साल 2003 और साल 2013 के आंकड़े कांग्रेस के लिए चिंताजनक
दरअसल, साल 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 153 सीटों पर बड़ी जीत हासिल की और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे. इस दौरान राजस्थान को दो डिप्टी सीएम मिले. साथ ही 23 और मंत्री बनाए गए. हालांकि, 2003 के चुनाव में इन 25 मंत्रियों में से केवल 7 ही अपनी कुर्सी बचा पाए. इनमें सीएम गहलोत, बीडी कल्ला, सीपी जोशी, रामनारायण चौधरी, गोविंद सिंह गुर्जर, प्रद्युम्न सिंह और रीम सिंह विश्नोई ही जीते. दोनों डिप्टी सीएम कमला बेनीवाल और बनवारी लाल बैरवा चुनाव हार गए. इसके अलावा 22 राज्यमंत्रियों में से केवल 3 ही जीत पाए.
वहीं, साल 2013 की बात करें तो 2008 में बनाए गए 15 कैबिनेट मिनिस्टर्स में से 3 को ही जीत हासिल हुई. वहीं, 18 राज्य मंत्रियों में से दो ही जीत पा सके.