नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान किया. नौसेना के स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत से राजनाथ ने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खामोश रहकर इंडियन नेवी ने पाकिस्तानी सेना को बांधे रखा. यह सोचिए, जो खामोश रहकर भी किसी देश की फौज को बोतल में बंद कर देती है. वह जब बोलेगी तो उसका नजारा कैसा होगा, इसकी आप कल्पना कर सकते हैं. इस बार तो पाकिस्तानी सेना को इंडियन नेवी की फायर पावर का सामना नहीं करना पड़ा. लेकिन दुनिया जानती है कि अगर पाकिस्तान ने इस बार कोई नापाक हरकत की, तो हो सकता है कि इस बार ओपनिंग हमारी नेवी करेगी.’ राजनाथ सिंह का यह मैसेज पाकिस्तानी सेना की नींद उड़ाने वाला है.
राजनाथ सिंह का ऐलान सिर्फ एक बयान नहीं था, यह 1971 की कराची बंदरगाह पर मचाई गई तबाही, कराची को ‘ब्लैक आउट’ करने वाली रणनीति, और हालिया ऑपरेशन सिंदूर की याद दिलाने वाला सीधा संदेश था. पाकिस्तान का डर सिर्फ थलसेना या वायुसेना से नहीं, उसे असली दहशत भारतीय नौसेना से होती है. क्यों? आइए विस्तार से समझते हैं।
जानें कराची कनेक्शन
नेवी से सबसे बड़ी हार की टीस अब भी जिंदा है. 1971 का भारत-पाक युद्ध सिर्फ थल पर नहीं, समुद्र में भी लड़ा गया था, और यहीं से जुड़ता है कराची कनेक्शन. 4 दिसंबर 1971 को ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर ऐसा हमला किया, जिसे आज भी पाकिस्तान की सेना भूल नहीं पाई. INS नीलगिरी, INS कृपाण और मिसाइल बोट्स ने मिलकर कराची के ऑयल टैंकर्स को ध्वस्त कर दिया, जिससे पाकिस्तान की पूरी नौसेना की रीढ़ टूट गई. ऑपरेशन पायथन ने इस हमले को और भी व्यापक बना दिया. तीन जहाजों, एक तेल टैंकर और एक नौसेना वॉरशिप को तबाह कर दिया गया. पाकिस्तानी नौसेना के इतिहास में इससे बड़ा अपमान आज तक नहीं हुआ. यही वजह है कि कराची का नाम आते ही पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों की आंखों में डर झलक जाता है.
ऑपरेशन सिंदूर में नेवी का कमाल
ऑपरेशन सिंदूर में जब भारतीय सशस्त्र बलों ने सीमा पार जवाबी हमला किया, तब थलसेना और वायुसेना का जिक्र हर जगह हुआ, लेकिन इंडियन नेवी की भूमिका चुपचाप और रणनीतिक रही. नौसेना के P-8I समुद्री निगरानी विमान ने पाकिस्तान के तटीय इलाकों की लाइव इंटेलिजेंस दिल्ली तक पहुंचाई. पश्चिमी नेवल कमांड ने अरब सागर में “समुद्री घेरा” बनाकर पाकिस्तान की नौसेना की गतिविधियों को ठप कर दिया. पाकिस्तानी वॉरशिप्स को कराची और ग्वादर जैसे तटों पर ही ‘पिन डाउन’ कर दिया गया. उन्हें खुले समुद्र में निकलने की हिम्मत नहीं हुई.
क्यों कांपता है पाकिस्तान इंडियन नेवी से?
- रडार से ओझल, हमला सटीक: भारतीय मिसाइल बोट्स और स्टेल्थ युद्धपोत पाकिस्तान की नजरों से बच निकलते हैं और सटीक हमला करते है.
- INS विक्रांत जैसा एयरक्राफ्ट करियर: समुद्र में चलते-फिरते एयरबेस से भारतीय नौसेना अब तटीय क्षेत्रों पर दिन-रात निगरानी रखती है.
- परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत: इसकी उपस्थिति ही पाकिस्तान को जमीनी कार्रवाई से डराती है क्योंकि जवाब परमाणु स्तर का हो सकता है.
- P-8I विमान की क्षमता: अमेरिका से प्राप्त ये विमान समुद्र के नीचे से लेकर सतह तक दुश्मन की हर हलचल पकड़ सकते हैं।
समंदर से आएगा पहला जवाब
राजनाथ सिंह के ताजा बयान के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि भारत की अगली सैन्य प्रतिक्रिया में नौसेना को पहली पंक्ति में रखा जाएगा. अब अगर कोई हमला करेगा, तो ओपनिंग इंडियन नेवी करेगी,” – यह सिर्फ बयान नहीं, एक रणनीति है. भारत अब कराची हो, ग्वादर हो या पीएनएस ज़ुल्फिकार, हर पाकिस्तानी ठिकाने पर ‘पहले हमला’ करने की रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है. और इसका नेतृत्व अब समुद्र से होगा.