अहमदाबाद: गुजरात की सत्ता पर सातवीं बार प्रचंड जीत से काबिज हुई बीजेपी को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ, आणंद के चुनाव में बीजेपी को जीत मिली है। आजादी के बाद पहली बार संघ के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के पद पर बीजेपी ने अपना कब्जा जमाया है। बीजेपी विपुल पटेल चेयरमैन और कुछ दिन पूर्व कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए कांतिभाई सोढ़ा परमार को वाइस चेयरमैन चुना गया है। खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ, आणंद को अमूल डेयरी के तौर पर जाना जाता है। डेयरी के चेयरमैन बने विपुल पटेल खेड़ा बीजेपी के अध्यक्ष हैं।
खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ, आणंद पर लंबे समय से कांग्रेस का कब्जा था। कुछ समय पहले तक संघ में बीजेपी के सिर्फ तीन निर्वाचित सदस्य थे, लेकिन कुछ दिनों पहले अमूल डेयर के पांच निदेशक औपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल हो गए थे। इसके बाद से माना जा रहा था कि अन्य डेयरी की तरह कब्जा हो गया। चुनाव से पहले तक राम सिंह परमार अमूल डेयरी के अध्यक्ष थे और राजेन्द्र सिंह परमार वाइस चेयरमैन थे।
कांति भाई ने खिलाया ‘कमल’
अमूल डेयरी में रामसिंह परमार, राजेश पाठक (पप्पू पाठक), विपुलभाई पटेल डुमरवाला पहले से ही बीजेपी में हैं। हाल ही में कांग्रेस की टिकट पर आणंद से विधायक रहे कांतिभाई सोढ़ा परमार ने जब बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की तो उनके साथ ढेलाजी जाला, शारदाबेन परमार, सीताबेन परमार और जुवानसिंह चौहान बीजेपी में शामिल हुए। ऐसे में भाजपा के आठ निदेशक हो गए। पार्टी ने निदेशक मंडल ने बहुमत हासिल कर लिया। तो कांग्रेस के पास सिर्फ केवल पांच सदस्य बचे। ऐसे में बीजेपी को अमूल डेयरी का चुनाव जीतने में कोई बाधा नहीं आई। अमूल डेयरी का सालाना कारोबार चार हजार करोड़ से अधिक का है।
राम’राज’ हुआ खत्म
अमूल डेयरी के चेयरमैन पद पर लंबे समय से राम सिंह परमार कब्जा जमाए हुए थे। ठसरा से सात बार विधायक रहे राम सिंह परमार साल 2017 के जुलाई महीने के अंत में बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने राज्यसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़ दी थी। हालांकि वे अमूल डेयरी के चेयरमैन बने हुए थे। गुजरात के सहकारिता में बड़े नामों में शामिल रामसिंह परमार 1978 में पहली बार अमूल डेयरी के बोर्ड में चुने गए थे। इसके बाद से लगातार अमूल डेयरी के बोर्ड में थे। 1990 में पहली बार चेयरमैन बनने वाले राम सिंह 1996 तक इस पद पर रहे थे। इसके बाद छह साल बाद फिर से वह 2002 में अमूल डेयरी के चेयरमैन बन गए थे। 2002 में चेयरमैन बनने के बाद वे लगातार इस पर पद थे। तो वहीं वाइस चेयरमैन की जिम्मेदारी राजेन्द्र सिंह परमार के पास थी। बीजेपी की जीत के साथ ही राम’राज खत्म हो गया। कांग्रेस से बीजेपी में आए परमार को-ऑपरेटिव के क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े चेहरे थे। राम सिंह परमार पूर्व में अमूल (GCMMF) के भी चेयरमैन रह चुके हैं। अमूल डेयरी के चेयरमैन चुने जाने के बाद विपुल पटेल ने कहा कि यह रामसिंह के शासन का अंत नहीं है, इस परिवर्तन कहा जाना चाहिए।