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150 साल पूर्व तय हो गया था रामलला की प्राणप्रतिष्ठा दिवस!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
21/01/24
in मुख्य खबर, राज्य
150 साल पूर्व तय हो गया था रामलला की प्राणप्रतिष्ठा दिवस!
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अयोध्या: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में हो रही है। उसकी तिथि हमारे पूर्वजों ने पहले ही बता दी थी। हमारा मेला भी इसी तिथि में भरता है और अद्भुत संयोग है कि श्रीराम के भव्य मंदिर में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा इस समय हो रही है। पता नहीं क्या है, इस तारीख में जो पंडित बता रहे हैं, वही हमारे पूर्वजों ने भी बताई। यह राम ही बताएंगे। यह बात छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के जैजेपुर में चल रहे रामनामी मेला में आये श्री गुलाराम रामनामी ने बताई।

गुलाराम और उनके साथी बताते हैं कि पूर्वजों की कही बात पूरा होने से हम लोग बहुत खुश हैं। रामनामी मेले के बारे में बताते हुए खम्हरिया से आये मनहरण रामनामी ने बताया कि हर साल इसी तिथि में मेले का आयोजन होता है। एक साल महानदी के इस पार और एक बार महानदी के उस पार। मनहरण ने बताया कि 150 साल पहले से हम लोग भजन गाते आये हैं। पहले छोटे भजन गाते थे 15 साल से बड़े भजन की शुरूआत हुई।

‘भगवान राम हमारे दिल में, लेकिन हम उन्हें पहचान नहीं पा रहे’,  प्राण प्रतिष्ठा से पहले बोले फारूक अब्दुल्ला’भगवान राम हमारे दिल में, लेकिन हम उन्हें पहचान नहीं पा रहे’, प्राण प्रतिष्ठा से पहले बोले फारूक अब्दुल्ला

सरसकेला से आई सेजबना ने बताया कि मैं बचपन से भजन गाती हूँ। 7 साल से राम नाम गोदवाया है। मेरे माता-पिता भी भजन गाते थे। यह चौथी पीढ़ी है जो भजन गा रही है। राम नाम की महिमा अपरंपार है। जिस परिसर में यह सब भजन गा रहे हैं। उस परिसर में भी उन्होंने राम नाम लिखवा लिया है। अपने घर में राम का नाम लिखा है। वस्त्रों में राम का नाम लिखा है। रामनामी राम के नाम के उपासक हैं। रामनामियों ने कहा कि किसी भी रूप में राम को भजो, चाहे गेरुवा पहन कर भजो, चाहे मुंडन कराओ लेकिन भेदभाव न करो। छलकपट न करो। यही उनका संदेश है।

मेला परिसर के तीन किमी के दायरे में मांस-मदिरा नहीं- गुलाराम बताते हैं कि मेला परिसर के तीन किमी के दायरे में माँस-मदिरा निषेध है। जैसे लोग मंदिर में जूता छोड़कर जाते हैं। वैसा ही हम मानते हैं कि हमारे हृदय में राम का वास है। हमने शरीर के हर अंग में राम का नाम लिखा है तो हमने यह संकल्प लिया है कि हम अपने शरीर को दूषित नहीं कर सकते। इसलिए माँस-मदिरा से परहेज करते हैं। इसके साथ ही हम छल-कपट से भी दूर रहते हैं। गुलाराम कहते हैं कि राम सभी जाति धर्मों से परे सबके हैं।

राम को भजै सो राम का होई- जैजेपुर में भजन जारी है। रामनामी मनहरण गा रहे हैं। जो राम को भजै सो राम का होई। जब उनको सुनते हैं तो भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी का भजन याद आता है जो भजे हरि को, सोही परम पद पायेगा। रामनामी अपनी हर बात में मानस का कोई दोहा अथवा कबीर का कोई दोहा गाते हैं। उन्होंने बताया कि हमने सब कुछ अपने राम को समर्पित कर दिया है।

राम नाम के हजारों किस्से हैं इनके पास-एक किस्सा बताते हुए मनहरण बताते हैं कि एक बार छत्तीसगढ़ की महानदी में बड़ी बाढ़ आई। इसमें कुछ रामनामी सवार थे और कुछ लोग सामान्य लोग थे। धार बहुत बढ़ गई। नाविक ने कहा कि अब राम नाम याद कर लो, सबका अंत याद आ गया है। फिर राम नाम का भजन गाया। फिर बहाव कम हो गया और सब सुरक्षित तट पर लौटे। ये 1911 की बात हैं। हम सबको यह बताते हैं। इसी दिन से मेला भरना शुरू हुआ।

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