लखनऊ। राममंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को शुरू हुई। इसमें शामिल होने के लिए राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र और सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक भी अयोध्या पहुंचे हैं। वैज्ञानिकों ने नृपेंद्र मिश्र और मंदिर निर्माण की कार्यदायी संस्था के इंजीनियरों के साथ मंदिर परिसर का निरीक्षण किया।
दोपहर बाद बैठक में निर्माण कार्यों की समीक्षा की गई। साथ ही सूर्य की किरणों से रामलला के अभिषेक की योजना को गति देने पर मंथन हुआ। रामलला के दिव्य-भव्य मंदिर निर्माण में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिक भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
उनकी ओर से राममंदिर की नींव के अलावा संरचनात्मक डिजाइन, सूर्य तिलक और संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी का कार्य किया जा रहा है। सीबीआरआई के वैज्ञानिक रामनवमी पर सूर्य रश्मियों से रामलला के तिलक की योजना पर भी काम कर रहे हैं।
रामनवमी को प्रभु श्रीराम की प्रतिमा के मस्तक पर सूर्य रश्मियों से होगा तिलक
प्रत्येक साल रामनवमी के दिन प्रभु श्रीराम की प्रतिमा के मस्तक पर सूर्य रश्मियों से तिलक होगा। अब राममंदिर का शिखर बनने लगा है और जल्द ही दूसरा तल को भी आकार देने का काम शुरू हो जाएगा। ऐसे में सूर्य किरणों के अभिषेक के लिए उपकरण कहां और कैसे लगाए जाएं, इसको लेकर वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को मंथन किया है।
तय हुआ है कि राममंदिर के तीसरी मंजिल से लेकर गर्भगृह में स्थापित रामलला की मूर्ति तक पाइपिंग और आप्टो मैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणें पहुंचाई जाएं। इसके लिए उच्च गुणवत्ता के चार शीशे व चार लेंस का इस्तेमाल किया जाएगा। दो शीशे निचले तल पर लगाए जा चुके हैं। दो शीशे तीसरी मंजिल पर लगाए जाएंगे। इस साल रामनवमी पर रामलला का सूर्य किरणों से अभिषेक होगा या नहीं, इस पर वैज्ञानिक अभी कुछ कहने को तैयार नहीं हैं।
राममंदिर निर्माण की योजना का रखा प्रजेंटेशन
बैठक में इंजीनियरों ने राममंदिर निर्माण की आगे की योजना का प्रजेंटेशन नृपेंद्र मिश्र के समक्ष रखा। परकोटा, तीर्थयात्री सुविधा केंद्र के निर्माण की प्रगति पर भी चर्चा हुई। बैठक में राममंदिर के ट्रस्टी डॉ़ अनिल मिश्र, सीबीआरआई के निदेशक प्रो़ आर प्रदीप कुमार, वैज्ञानिक डॉ़ देबदत्ता घोष आदि मौजूद रहे।
सप्त मंडपम के डिजाइन पर मंथन
राम जन्मभूमि परिसर में सप्त मंडपम का निर्माण किया जाना है। इसमें भगवान राम के समकालीन सात पात्रों के मंदिर बनाए जाने हैं। इसके डिजाइन, ड्राइंग आदि को लेकर मंथन किया गया। सप्त मंडपम का निर्माण परिसर में किस स्थल पर होगा, इसको लेकर भी चर्चा की गई। सात मंदिरों में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, अगस्त्य, विश्वामित्र, निषादराज, शबरी व अहिल्या के मंदिर बनाए जाने हैं। जल्द ही सप्त मंडपम का कार्य शुरू करने की तैयारी है।