मुकेश चतुर्वेदी की रिपोर्ट
सतना। आस्था के मुख्य केंद्र रामवन के वास्तविक विकास को लेकर सुनियोजित तरीके से पानी फेरा जा रहा है। भगवान श्री राम के नाम से रामवन का नाम लिया जाता है, इसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की एक प्रतिमा न होना यहां आने वाले सभी भक्तों को दंग कर देता है। पिछले पंद्रह साल से रामवन को लेकर सुनियोजित कारनामों को अंजाम दिया गया है। संदिग्ध गतिविधियों का रामवन को मुख्य केंद्र बना दिया गया है। सूरक्षा के नाम पर एक पुलिस चौकी जरुर भाजपा राज में यहां खोली गई है। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल रामवन के लिए दूसरे गेट का निर्माण कार्य रामपुर बघेलान थाना के तत्कालीन टीआई भूपेंद्र सिंह यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान शुरू कराया था। बराबर लोगों के सहयोग से रामवन के दूसरे दरवाजे को भव्य रुप देने का सिलसिला जारी रहा। जब भूपेंद्र सिंह यादव का तबादला रामपुर बघेलान थाना से अन्यत्र के लिए कर दिया गया। उनके रामपुर बघेलान से रवाना होते ही रामवन के दूसरे दरवाजे का जो निर्माण कार्य चल रहा था वह ठहर गया। इसके बाद पंद्रह साल का समय बीत जाने के बाद भी रामवन का दूसरा गेट पूरी तरह तैयार नहीं हो पाया है। विभिन्न देवी देवताओं की छोटी छोटी प्रतिमाएं बनाकर गेट को भव्यता प्रदान करने का महाभियान पिछले पंद्रह साल से पूरी तरह ठप्प पड़ा हुआ है। रामवन की व्यवस्था का संचालन करने वाले मानस संघ ट्रस्ट के अध्यक्ष सहित जिम्मेदार पदाधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण पिछले पंद्रह साल से बजरंगबली के दरबार का नया गेट अधूरा पड़ा हुआ है। मजेदार बात यह है कि मानस संघ ट्रस्ट रामवन के गेट को लेकर कुछ करना ही नहीं चाहता है। रामवन दरबार के लिए जाने वाले रास्ते पर अधूरा पड़ा गेट जिला प्रशासन और मानस संघ ट्रस्ट की लापरवाही को उजागर कर रहा है। सबसे बड़े हैरत की बात यह है कि ईश्वर पर आस्था रखने वाले लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी होने के बाद भी रामवन का नया गेट अधूरा पड़ा है।
लाखों कमाने के बाद भी गेट निर्माण की अनदेखी
सूत्रों की मानें तो सन् 1939 में रामवन पवित्र धाम के लिए मानस संघ ट्रस्ट का गठन हुआ। यहां आने वाले भक्तों के लिए तमाम तरह की सुविधाएं पैसों पर लागू करवाई गई है। जिस रामवन के नाम पर करोड़ों रुपए का राजस्व हासिल होने के बाद भी मुख्य गेट के निर्माण कार्य पर गंभीरता नहीं दिखाई जाती है। सूत्रों की मानें तो जब मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार आई और मुख्यमंत्री उमा भारती बनी तब से लगातार रामवन पर आर एस एस और भाजपा का दखल बढ़ता गया। काफी समय पहले तक रामवन में एक बड़ी गौशाला हुआ करती थी, उसका नामोनिशान भी मिट चुका है। एक जमाने में सुबह के समय बजरंगबली के दरबार में चने का प्रसाद चढ़ता था। इस पुराने प्रसाद की परंपरा को चौपट कर दिया गया है। रामवन संचालन के लिए बनाया गया ट्रस्ट के सदस्य सिर्फ धंधा के मकसद के साथ काम करने के आदी हो गए हैं।