नई दिल्ली l इस साल के आखिरी गुरुवार यानि 30 दिसंबर को खास संयोग बन रहा है. दरअसल इस दिन एकादशी और गुरुवार का विशेष संयोग बन रहा है. शास्त्रों में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. पौष कृष्ण एकादशी तिथि को सफला एकादशी का व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है. सफला एकादशी के बारे में कहा जाता है कि यदि परिवार का एक सदस्य भी इस व्रत को रखता है तो इसका कई गुणा फल सभी सदस्यों को मिलता है.
सफला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त
एकादशी व्रत की विधि एक दिन पहले ही शुरू हो जाती है. ऐसें में पंचांग के मुताबिक एकादशी तिथि 29 दिसंबर को दोपहर 04 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी. जबकि एकादशी तिथि का समापन 30 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 40 मिनट पर होगा. सफला एकादशी व्रत का पारण 31 दिसंबर को करना शुभ रहेगा.
सफला एकादशी व्रत नियम
सफला एकादशी व्रत विधिवत् पूजा करने के लिए सबसे पहले गंगाजल मिले पानी से स्नान करें. इसके बाद पीले रंग के कपड़े पहनकर भगवान विष्णु को गाय के दूध से स्नान कराएं. फिर शंख में दूध और गंगाजल मिलाकर चढ़ाएं. बाद में धूप, दीप से भी भगवान की पूजा करें. पूजन सामग्र में पीले रंग के फूल, फल और पीले चंदन का इस्तेमाल करें. साथ ही इन चीजों से भगवान विष्णु का शृंगार करें. संभव हो तो उन्हें तुलसी मिला पंचामृत जरूर अर्पित करें.
सफला एकादशी महत्व
सफली एकादशी को धार्मिक ग्रंथों में खास महत्व दिया गया है. सभी प्रकार के दुखों और दुर्भाग्य से छुटाकारा पाने के लिए यह व्रत खास है. कहते हैं कि इस व्रत युधिष्ठिर ने भी किया था. ऐसे में पूरे विधि-विधान से इस एकादशी का व्रत और पूजा करनी चाहिए. इस व्रत से भगवान विष्णु सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
खबर इनपुट एजेंसी से