नई दिल्ली: पुरानी पेंशन की मांग कर रहे केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों को आरबीआई (RBI) की हालिया रिपोर्ट से झटका लग सकता है. जी हां, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से एक रिपोर्ट में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली को लेकर आगाह किया गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया कि यदि ओपीएस को बहाल किया गया तो पेंशन पर बढ़ने वाला खर्च, ग्रोथ को बाधित करेगा. यह ‘पीछे की ओर एक बड़ा कदम’ होगा. रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया कि राज्यों को ओपीएस लागू करने से बचना चाहिए. इसके अलावा किसी योजना का नाम लिये कहा गया कि मुफ्त में चीजें और सब्सिडी देने से बचना चाहिए.
राजनीतिक दलों ने थीं तमाम घोषणाएं
चुनाव से पहले जारी एडवाइजरी में स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस जैसे उपायों के जरिये राज्यों द्वारा रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए कोशिश तेज करने की सिफारिश की गई. हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए तमाम घोषणाएं कीं. कई राज्यों में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को खत्म करने की मांग की है. एनपीएस के तहत कर्मचारी और सरकार दोनों को शेयर जमा करना होता है. अगर पुरानी पेंशन को बहाल किया जाता है तो इसका बोझ पूरे राज्य पर पड़ेगा. इसके तहत कर्मचारी को अंतिम वेतन की 50% पेंशन मिलने की गारंटी होती है.
राजकोषीय बोझ बढ़ जाएगा
रिपोर्ट में जारी ‘अनुमान के अनुसार यदि सभी राज्य सरकारें एनपीएस से ओपीएस की तरफ लौटती हैं तो संचयी राजकोषीय बोझ एनपीएस के 4.5 गुना तक हो सकता है. अतिरिक्त बोझ 2060 तक सालाना जीडीपी का 0.9% तक पहुंच जाएगा.’ ओपीएस के तहत जिन लोगों की भर्ती हुई है उनके 2040 शुरुआत में रिटायर होने की उम्मीद है. ऐसे लोगों के 2060 तक ओपीएस के तहत पेंशन प्राप्त करने की उम्मीद है.’ पिछले दिनों कुछ राज्यों की तरफ से ओपीएस बहाली पर उठाए गए कदम के बीच केंद्री की तरफ से एक समिति का गठन किया गया है.
केंद्र की गठित समिति देगी रिपोर्ट
समिति से इस मामले पर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है कि कैसे ओपीएस की बहाली किए बगैर, एनपीएस सरकार और कर्मचारियों दोनों के लिए फायदे का सौदा हो सकती है. मौजूदा वित्त वर्ष के लिए आरबीआई का अनुमान है कि सकल राजकोषीय घाटा रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच सकता है. इसका मुख्य कारण राजस्व में गिरावट और पूंजीगत व्यय बढ़ना बताया गया है. पिछले कुछ समय में रेवेन्यू एक्सपेंडीचर में कमी आई है. यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि जीएसटी पर कम्पनसेशन सेस वापस लेने के कारण राजस्व में गिरावट आई है. हालांकि, पूरे साल के लिए आरबीआई की तरफ से टारगेट हासिल करने की उम्मीद की जा रही है.
रिपोर्ट में टैक्स चोरी रोकने और टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन में इजाफे के लिए सुधार की बात कही गई है. इससे राज्यों की राजकोषीय क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा. एक्साइज ड्यूटी और संपत्ति के अलावा, ऑटोमोबाइल पर लगने वाली शुल्क पर भी फिर से विचार करने के लिए कहा गया है. रेवेन्यू बढ़ाने के लिए अवैध खनन पर लगाम लगाने का भी प्रस्ताव किया गया है.