नई दिल्ली: बाराबंकी सुरक्षित सीट पर मतदाताओं ने रिकॉर्ड वोट कर राजनीतिक पंडितों का गणित बिगाड़ दिया है। कौन जाति किस दल की तरफ झुकी या बटी के मुद्दों से लेकर पहली बार छह प्रतिशत से अधिक महिलाओं के मतदान से कोई भी खुलकर नहीं बता पा रहा कि कौन बीच भंवर में डूबा और किसकी नैया पार लगी।
परिणाम आने में भले ही अभी दस दिन बाकी है लेकिन, शहर से लेकर गांवों तक चाय-पान की दुकान में एक अलग ही मतगणना जारी है। कहीं भाजपा समर्थक खुद को जीता बता रहे हैं तो कहीं गठबंधन वाले दमदार वापसी की चर्चा कर रहे हैं।
इस बार बाराबंकी में 12,85,389 वोट पड़े हैं। अवध में अब तक हुए मतदान में बाराबंकी पहले नंबर पर है। पहली बार रिकॉर्ड वाेटिंग में आधी आबादी की भूमिका सबसे आगे रही। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में औसतन पांच प्रतिशत वोटिंग महिलाओं ने पिछले चुनाव से बढ़कर की है।
लंबे समय बाद पंजा और कमल में सीधी लड़ाई हुई। हाथी मैदान तो था, लेकिन मतदान केंद्रों और मतदाताओं के बीच नहीं दिखा। इससे चुनाव परिणाम की टोह लेना या कयास लगाना आसान नहीं रहा।
इसके बाद भी राजनीतिक पंडित गुणा-भाग में जुटे हैं। कोई कुर्मी वोटों का बिखराव बता रहा है तो कोई बसपा के वोटों को हासिल कर जाति और धर्म के आधार पर अपनी जीत को पक्का मान रहा है। दूसरा दल अभी हार मानने का तैयार नहीं है। उसके पास जो तर्क है वह भी कम कमजोर नहीं है।