रायपुर : छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग की भर्ती के नियम को सरकार ने बदल दिया है। अब पहली से पांचवीं तक डीएलएफ कैंडिडेट से पढ़ाई कराने का निर्णय लिया गया है। जिससे प्रदेश में बीएड की पढ़ाई करने वाले छात्र अब विरोध में उतर आए हैं। इस नए नियम के विरोध में अभ्यर्थी कोर्ट तक पहुंच चुके हैं। स्कूल शिक्षा विभाग की भर्ती में सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइन को लागू किया गया है।
क्या है नया नियम
सरकार प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के 12 हजार 489 पदों पर भर्ती करने जा रही है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइन के अनुसार भर्ती करने का फैसला लिया गया है। अगर यह भर्ती नए नियम के अनुसार होती है तो इसमें बीएड के छात्रों को हटा दिया जाएगा। क्योंकि इस नियम के अनुसार पहली से पांचवीं कक्षा को पढ़ाने के लिए डीएलएफ होना जरूरी है। इसका मतलब बीएड के छात्र इसमें हिस्सा ही नहीं ले सकते हैं। बीएड के कैंडिडेट केवल हायर सेकेंड्री कक्षाओं को पढ़ाने के पात्र होंगे। इस आधार पर नई भर्तियों के लिए काउंसलिंग और दस्तावेजों के वेरिफिकेशन से बीएड के कैंडिडेट्स को दरकिनार कर दिया गया है।
12 हजार 489 पदों में से 5 हजार 772 पदों पर बीएड योग्यता वाले अभ्यर्थियों की भर्ती की जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी गई है। वहीं सहायक शिक्षक के 6 हजार से ज्यादा पदों पर भी काउंसलिंग शुरू कर दी गई है।
विरोध में कोर्ट तक पहुंचे छात्र
भर्ती प्रक्रिया में नए नियम लाने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ अब बीएड के छात्रों ने मोर्चा खोल दिया है। नए नियम लाने के विरोध में छात्र कोर्ट तक पहुंच गए हैं और पुरानी पद्धति के तहत शिक्षा विभाग में भर्ती की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जो नियम भर्ती के विज्ञापन में बताए गए थे, उन नियमों के तहत भर्ती प्रक्रिया होनी चाहिए।
नई गाइडलाइन के विरोध में बीएड योग्यता वाले छात्र कोर्ट के दरवाजे पहुंच गए हैं। कोर्ट के आखिरी आदेश तक छात्रों ने नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की है। इसके लिए छात्रों ने उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव और शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे को ज्ञापन सौंपा है।