हिंदी सिनेमा में 70 के दशक की हिट एक्ट्रेस शशिकला का 4 अप्रैल 2021 को दोपहर में निधन हो गया। आपका जन्म 4 अगस्त 1932, सोलापुर में हुआ। आप जहां सेलोलाइट पर्दे पर बेहद सख़्त, कड़क, दबंग, लालची और बात-बात पर आँखों से गंगा बहा देने वाली शशि थीं वहीं आम ज़िन्दगी में सरल, सहज, शांत, दूरदर्शी और विवेकवान थीं।
आज लगभग 89 वें साल की उम्र में अभिनेत्री ने अंतिम सांस लिया। जिस वक्त आपका निधन हुआ है, उस वक्त तक अतीत से वर्तमान तक सौ से अधिक फ़िल्में आपके खाते में दर्ज हो चुकी थीं। आज आप चुपचाप दुनिया से विदा तो हो गयीं लेकिन ‘ज़िद छोड़ो दादी मान भी न जाओ’ की स्मृति बाल व प्रौढ़ सहित वृद्धों के मन में छोड़ गयी हैं।
लंबे समय से बॉलीवुड से दूरी बना रखी थी। शशि का पूरा नाम शशिकला जावलकर है। शशि एक मराठी परिवार से ताल्लुक रखती थीं।
बीते जमाने में अपनी खूबसूरती से इंडस्ट्री में तहलका मचाये रखती थीं। अपने वास्तविक अभिनय से किरदार में परकाया प्रवेश की अनुभूति से दर्शकों को भर देती थीं। जिंदगी में आने वाले उतार-चढ़ाव से विचलित हुये बग़ैर सहजमना से आगे का अध्याय लिखती रहीं।
अपनी पहली फ़िल्म ‘ज़ीनत’ (1945) से लेकर पद्यश्री लालू प्रसाद यादव (2005) तक सतत सक्रिय रहते हुये अनवरत बेमिसाल फ़िल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेरा। आपने ‘ओम प्रकाश सहगल’ से शादी किया था। आपकी दो बेटियां हैं।
आपने सौ से अधिक फ़िल्मों में काम किया है। चरित्र अभिनेत्री के तौर पर आपका काम बेजोड़ है। आपकी कुछ प्रमुख व चर्चित फ़िल्में हैं- ‘तीन बत्ती चार रास्ता, हमजोली, सरगम, चोरी- चोरी, नीलकमल, अनुपमा, परदेशी बाबू, सलमा पे दिल आ गया, लहू के दो रंग, अनोखा बंधन, दुल्हन वही जो पिया मन भाये, फूल और पत्थर, ये रास्ते हैं प्यार के, जंगली, क़ानून, सुजाता, जीवन ज्योति, मुझसे शादी करोगी, रक्त, ‘कभी ख़ुशी कभी ग़म’ से लेकर बादशाह और ‘मदर’ तक में सक्रिय भूमिका निभाती रहीं।
आपने फिल्मों के साथ-साथ टीवी में भी काम किया। मशहूर सीरियल ‘सोन परी’ में फ्रूटी दादी की भूमिका में काफ़ी सराहना बटोरी। आपको समय-समय पर तमाम पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया। भारत सरकार की तरफ़ से साल 2007 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया।