नई दिल्ली : संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित हो चुका है। यानी महिलाओं के लिए संसद में आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन, जब बात होती चुनावों में महिलाओं को टिकट देने की तो इसमें राजनीतिक दल तुरंत कंजूसी दिखाने लगते हैं। इस लोकसभा चुनाव में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। अभी तक राजनीतिक दलों की ओर से उम्मीदवारों की जितनी लिस्ट आई हैं सबमें महिलाएं ताक पर ही दिखी हैं। इस रिपोर्ट में जानिए उत्तर प्रदेश में किस पार्टी ने कितनी महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है।
किस पार्टी से कितनी महिलाएं
सबसे पहले बात करें यूपी और केंद्र में सत्ताधारी भाजपा की। प्रदेश में भगवा दल ने 80 में से 71 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इनमें से महिला प्रत्याशियों की संख्या केवल 7 है। वहीं, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) के 50 उम्मीदवारों में महिला प्रत्याशी केवल 9 हैं। बाकी दलों का हाल भी कुछ अलग नहीं है। मायावती की बसपा 45 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है और इनमें महिला उम्मीदवार केवल 3 हैं। कांग्रेस के 14 प्रत्याशियों में केवल 1 महिला नेता को टिकट मिला है। हालांकि, यह कुछ नया नहीं है। पहले भी ऐसी ही तस्वीर बनती रही है।
पिछले चुनाव में कैसा था हाल?
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 78 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे और इनमें से 10 महिलाएं थीं। कांग्रेस ने 67 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 12 महिला नेताओं को टिकट दिए थे। सपा और बसपा ने पिछला चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। सपा ने 37 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे और 6 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था तो बसपा के 38 उम्मीदवारों में से 4 महिलाएं थीं। उल्लेखनीय है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए केवल सपा में ही महिला उम्मीदवारों की संख्या में कुछ बढ़ोतरी देखी गई है। बाकी दलों में महिला उम्मीदवारों की संख्या में गिरावट ही देखी गई है।
वोट डालने में आगे हैं महिलाएं
राजनीतिक दल महिला नेताओं को टिकट देने में भले ही कंजूसी बरतते हों लेकिन मतदान करने की बात आती है तो महिलाएं पुरुषों से आगे ही रही हैं। पिछले चुनाव के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि यूपी में 59.56 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले थे। वहीं, वोट डालने वाले पुरुष मतदाताओं की हिस्सेदारी 58.52 प्रतिशत रही थी। यानी वोट डालने वाली महिलाओं की संख्या पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 1.04 प्रतिशत ज्यादा रहा था। ऐसे में एक अहम सवाल यह उठता है कि क्या राजनीतिक दल हमेशा की तरह अब भी महिलाओं को वोट बैंक की तरह ही देख रहे हैं।