देहरादून | उत्तराखण्ड के पारम्परिक लोक पर्व ईगास को प्रदेशभर में वृहद स्तर पर आयोजित किये जाने के उद्देश्य से आज वृहस्पतिवार को उत्तराखण्ड संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद की उपाध्यक्ष श्रीमती मधु भट्ट ने एक बैठक आहूत की गयी।
बैठक में संस्कृति विभाग की निदेशक सुश्री बीना भट्ट, प्रधान सहायक राकेश प्रसाद मैठाणी, वरिष्ठ सहायक विजय सिंह भण्डारी के अतिरिक्त लोक संस्कृति के क्षेत्र में वर्षों से अनवरत कार्य कर रहे बलराज नेगी, सुश्री साधना शर्मा एवं अंकित आदि मौजूद थे। श्रीमती मधु भट्ट ने बताया कि उत्तराखण्ड में दिवाली के ठीक ग्यारह दिन बाद यानि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को इगास पर्व मनाये जाने की परम्परा है, जो हमारी पारम्परिक लोक सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
उत्तराखण्ड संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद उपाध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत हमारी आत्मा है। हमारा प्रदेश अपनी पारम्परिक एवं पौराणिक लोक सांस्कृतिक विरासत के लिये विश्वभर में ख्याति प्राप्त है, जो हमारे संस्कारों में रची-बसी है, इसे अपने मूल स्वरूप में बचाये रखना हम सबका कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि हमारे पौराणिक मेले त्यौहारों को भावी पीढ़ी के लिये संजोये रखने के लिये इनका वृहद स्तर पर आयोजन एवं युवा पीढ़ी को इनसे जोड़ने की आवश्यकता है। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिये उत्तराखण्ड संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद इस वर्ष ईगास महोत्सव वृहद रूप देकर इस महोत्सव से हर व्यक्ति को जोड़ना चाहता है। इनके लिये आज संस्कृति विभाग के अधिकारियों एवं इस क्षेत्र में कार्य कर रहे स्वैच्छिक संस्थाओं के सदस्यों से आगामी ईगास महोत्सव के लिये कार्य योजना पर विस्तृत चर्चा की गयी।
श्रीमती मधु भट्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती अंचलों में पौराणिक काल से ही अनेक ऐतिहासिक, व्यापारिक एवं पारम्परिक मेलों का आयोजन होता आ रहा है, जो हमारी विशेष पहचान हैं। इन मेलों के संरक्षण हेतु संस्कृति विभाग लगातार जिलाधिकारियों के माध्यम से इन मेलों के आयोजन हेतु आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रहा है। साथ ही इन मेले, त्यौहारों एवं उत्सवों में संस्कृति विभाग की सहभागिता सुनिश्चित किये जाने हेतु दलों को सांस्कृतिक कार्यकर्मों की प्रस्तुति हेतु भी भेजा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद प्रदेश की इस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिये जहाँ एक ओर इन मेले, त्यौहारों एवं उत्सवों के आयोजन हेतु जिलाधिकारियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रहा है। वहीं इन मेलों, त्यौहारों एवं उत्सवों के पौराणिक महत्ता के आधार पर अभिलेखीकरण के क्षेत्र में कार्य करेगा। उपाध्यक्ष श्रीमती मधु भट्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड के पारम्परिक महोत्सव ईगास को एक महोत्सव के रूप में आयोजित किये जाने तथा इस महोत्सव से आम जनमानस को जोड़ने के लिये कार्य योजना तैयार की जा रही है।