जयप्रकाश रंजन। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को मिले स्पष्ट बहुमत ने एक बात सुनिश्चित कर दी है कि राज्य में नीतिगत स्थिरता रहेगी। ऐसे में राज्य ने पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में जो आर्थिक प्रगति की है उसकी रफ्तार आगे भी जारी रहने की संभावना बढ़ गई है। देश में निजी सेक्टर की तरफ से होने वाले निवेश को आकर्षित करने में अभी कर्नाटक को तमिलनाडु, महाराष्ट्र व गुजरात से सबसे जबरदस्त प्रतिस्पद्र्धा करना पड़ रहा है।
राज्य की इकोनॉमी की स्थिति भी मजबूत, बढ़ता कर्ज एक बड़ी चुनौती
स्थिर सरकार होने से ज्यादा अनुकूल फैसले किये जा सकते हैं और साथ ही सुधारों की गति को बढ़ाने के लिए भी कोई दबाव नहीं होगा। कर्नाटक की इकोनॉमी को लेकर आरबीआइ और केंद्र सरकार के आंकड़ों की पड़ताल की जाए तो एक बात सामने आती है कि आर्थिक मोर्चे पर इसकी सबसे दुखती नब्ज बढ़ता कर्ज है, जो चालू वित्त वर्ष के दौरान 78 हजार करोड़ रुपये के करीब रहने की संभावना है। ऐसे में कांग्रेस सरकार की तरफ से वहां अपनी चुनावी घोषणाओं के मुताबिक अगर फैसले होते हैं तो वह राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है।
देश की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है कर्नाटक
कांग्रेस की तरफ से कई तरह के वायदे किये हैं, जिसे लागू करने के बाद राज्य सरकार को बहुत ही बेहतर खजाना प्रबंधन दिखाना होगा। इसमें हर उपभोक्ता को हर महीने दो सौ बिजली यूनिट मुफ्त देना, हर परिवार की महिला को दो हजार रुपये प्रति माह का भत्ता देना, हर महिला को सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा देना, हर ग्रेज्यूट को तीन वर्षो तक तीन हजार रुपये और डिप्लोमा होल्डर को 1500 रुपये का भत्ता देना और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों को हर माह 10 किलो चावल देने का वादा किया है।
सालना 51 हजार करोड़ रुपये का पड़ेगा अतिरिक्त बोझ
मोटे तौर पर अनुमान है कि सिर्फ परिवार की महिला मुखिया को भत्ता देने और मुफ्त दो सौ यूनिट बिजली देने से ही राज्य सरकार को सालना 51 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। अगर कांग्रेस की नई सरकार मुफ्त घोषणाओं से जुड़े सारे वादे पूरी करती है तो राज्य सरकार को सालाना 70-75 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम करना होगा।
राज्य की आर्थिक प्रगति के रिकार्ड को देखते हुए इस राशि का इंतजाम किया जा सकता है लेकिन इसे जुटाने के लिए अतिरिक्त संसाधन भी जुटाने होंगे। वर्ष 2023-24 के अंतरिम बजट में राज्य सरकार का अपना टैक्स राजस्व 1.64 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद लगाई गई है। इसके अलावा उधारी कार्यक्रम के तहत 77,750 करोड़ रुपये का इंतजाम किया जाना है। साथ ही केंद्र से भी टैक्स में हिस्सा मिलेगा।
क्या कहता है आरबीआइ का डाटा
बजटीय ब्यौरे के मुताबिक कुल राजस्व 3,09,310 करोड़ रुपये और कुल व्यय 3,09,192 करोड़ रुपये रहने की संभावना है। आरबीआइ का डाटा बताता है कि वर्ष 2021-22 में कर्नाटक भारत की इकोनॉमी में सबसे ज्यादा योगदान करने वाले राज्यों में तीसरे स्थान पर है। प्रख्यात अर्थविद रूचिर शर्मा ने हाल ही में कर्नाटक पिछले दो दशकों में सबसे बेहतर आर्थिक प्रदर्शन करने वाले राज्य घोषित करते हुए हाल ही में लिखा है कि वर्ष 2010 में यह राज्य पूरे देश में प्रति व्यक्ति आय के मामले में 16 स्थान पर था जो अब तीसरे स्थान पर आ गया है।
आरबीआइ के मुताबिक वर्ष 2021-22 में कर्नाटक की प्रति व्यक्ति आय 1,68,050 रुपये सालाना थी। जाहिर है कि नई कांग्रेस सरकार को एक मजबूत खजाना मिल रहा है। ऐसे में उनके समक्ष आर्थिक प्रगति की रफ्तार को बरकरार रखने के साथ ही साथ ही चुनावी वादों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने पर ध्यान देना होगा।