नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बाद गुरुग्राम सेक्टर-38 में शुरू हुआ सड़क का निर्माण मतदान होते ही बंद हो गया। आरडब्ल्यूए का आरोप है कि निगम ने झूठा आश्वासन देकर चुनाव से पहले सड़क निर्माण का काम शुरू करवा दिया था, लेकिन 25 मई को मतदान के बाद फिर से काम बंद कर दिया। अब सेक्टर के लोग नगर निगम के खिलाफ लामबंद हो गए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़कों का निर्माण कार्य अधर में रहने से सेक्टर के लोगों को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सेक्टर की समस्याओं के समाधान के लिए आरडब्ल्यूए ने निगमायुक्त को मांगपत्र सौंपने का फैसला लिया है। सेक्टर-38 के आरडब्यूए प्रधान सजेश गुलिया ने बताया कि उनके सेक्टर में बीते कई सालों से पानी की किल्लत, स्ट्रीट लाइटें नहीं होने, सीवर जाम और टूटी सड़कों को लेकर दयनीय स्थिति है। लगातार निगम अधिकारियों को शिकायत के बाद भी जब उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उन्होंने 26 अप्रैल को चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था।
उन्होंने बताया कि सेक्टर के गेट पर चुनाव बहिष्कार को लेकर बैनर आदि भी लगाए गए थे। इसके बाद नगर निगम के अतिरिक्त निगमायुक्त डॉ. बलप्रीत सिंह ने सेक्टर के लोगों के साथ बैठक की थी। बैठक में उन्होंने चुनाव से पहले सेक्टर की सभी समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया था।
पानी का भी नहीं किया कनेक्शन
आरडब्ल्यूए प्रधान सजेश गुलिया ने बताया कि निगम ने एक साल पहले सेक्टर में नया बूस्टिंग स्टेशन तो बना दिया, लेकिन सेक्टर-47 से जीएमडीए की मुख्य लाइन से आज तक कनेक्शन नहीं मिल पाया। चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बाद निगम अधिकारियों ने चुनाव से पहले कनेक्शन करवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया है। लोगों के घरों में पानी की आपूर्ति तक नहीं हो रही है। लोग टैंकरों से महंगे दामों में पानी खरीदने को मजबूर हैं।
ठेकेदार ने काम बंद किया
सजेश गुलिया ने बताया कि निगम ने 18 मई से सेक्टर की सड़कों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया। इससे पहले सेक्टर में स्ट्रीट लाइटों को बदलने और नई लगाने का काम भी कर दिया गया। 25 मई तक निगम के ठेकेदार ने तीन से चार सड़कों का निर्माण कर दिया, लेकिन मतदान के बाद फिर ठेकेदार ने काम बंद कर दिया।
गुरुग्राम नगर निगम के कार्यकारी अभियंता संजीव गुप्ता ने कहा कि ठेकेदार ने चुनाव के कारण काम को बंद किया था। ठेकेदार से सेक्टर की सभी सड़कों का निर्माण करवाया जाएगा। टेंडर में दिए गए सभी कार्य पूरे होने पर ही ठेकेदार के बिलों का भुगतान किया जाएगा।