देहरादून : इस वर्ष प्रदेश में अभी तक सामान्य मानसून के बावजूद बारिश की तेज बौछारों ने सड़कों और पुलों को खूब धोया है। हालांकि, मानसून की विदाई में अभी भी 25 दिन का समय शेष है। इस दौरान तीन हजार से अधिक सड़कों को नुकसान पहुंचा, तो 92 पुल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं।
इन्हें पूर्ववत स्थिति में लाने के लिए प्रदेश सरकार को करीब 545 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट खर्च करना पड़ेगा। 15 जून से शुरू हुए मानसून सत्र के बाद से अभी तक प्रदेश में सामान्य से चार प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, इस वर्ष प्रदेश में वास्तविक 1055.1 मिमी के मुकाबले 1018.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई है।
पर्वतीय क्षेत्रों में बागेश्वर, हरिद्वार और चमोली में सर्वाधिक बारिश दर्ज की गई है। बारिश का ज्यादा असर पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों और पुलों पर देखने को मिला है। मैदानी क्षेत्रों में हरिद्वार ज्यादा नुकसान दर्ज किया गया है। अभी तक सड़काें और पुलों को 54,538.12 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। इस दौरान जहां 3,105 सड़कों और 92 पुलों को नुकसान पहुंचा है।
अकेले पुलों को ही सुधारने के लिए 12020.41 लाख रुपये चाहिए, जबकि बीते वर्ष अगस्त में यह आंकड़ा बहुत पीछे था। वर्ष 2022 में 1990 सड़कों को नुकसान पहुंचा और मात्र 11 पुल क्षतिग्रस्त हुए थे। इसमें 9,856.73 लाख रुपये के नुकसान का आकलन किया गया था। इस लिहाज से इस वर्ष अभी तक 44,681.39 लाख रुपये अधिक का नुकसान हो चुका है।
इस दौरान ऑल वेदर रोड परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है। अतिवृष्टि से यहां करीब 200 लैंडस्लाइड जोन सक्रिय हैं। इनमें से फिलहाल 155 को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। हालांकि, इनमें से 89 भूस्खलन क्षेत्रों के उपचार के लिए केंद्र सरकार की ओर से 971.68 करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया गया है।
मानसून के बाद उपचार का काम शुरू हो जाएगा। वहीं, प्रदेशभर में कुल सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों की संख्या 360 के आसपास रही। पहाड़ी से गिरे भारी मलबे और गदेरों में आई सिल्ट ने सड़कों को भारी नुकसान पहुंचाया। वहीं कई जगह सड़क धंस गई। बारिश के कारण सड़कों और पुलों को भारी क्षति हुई है। पहली बार प्रतिदिन की रिपोर्ट अपडेट की जा रही है। प्राथमिकता सड़कों को खोलने की है। सड़कों और पुलों को पूर्ववत स्थिति में लाने के लिए भी काम शुरू कर दिया गया है। कुल कितनी क्षति हुई है इसका प्रारंभिक आकलन कर लिया गया है। मानसून के बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार की जाएगी। – डॉ. पंकज पांडेय, सचिव, लोनिवि
प्रदेश में 360 से अधिक डेंजर स्लिप जोन चिह्नित
अल्मोड़ा-95, बागेश्वर-14, नैनीताल-15, पिथौरागढ़-चार, चंपावत-तीन, उत्तरकाशी-सात, चमोली-27, रुद्रप्रयाग-33, टिहरी-96, देहरादून-14, पौड़ी-22, हरिद्वार-तीन।
(आंकड़े लोनिवि के अनुसार)